2019 के लोकसभा चुनावों के नतीजे जो भी हों, एक बात तय है. दक्षिण भारत की राजनीति इसमें अहम भूमिका अदा करने वाली है. लोकसभा चुनावों के आखिरी दौर के फौरन बाद चंद्रबाबू नायडू दिल्ली आ गए. तमाम नेताओं से मिलते रहे. सोनिया-राहुल, माया-अखिलेश और कोलकाता जाकर ममता तक से मिले. उनकी कोशिश बीजेपी विरोधी मोर्चा बनाने की है. एग्ज़िट पोल के नतीजे भी उनके उत्साह पर पानी नहीं फेर पाए. उनको शायद अब भी उम्मीद है कि उनकी कोशिश कामयाब होगी. इस उम्मीद की अपनी वजह है. दक्षिण भारत के 5 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में एक सौ तीस सीटें हैं. सबसे ज़्यादा 39 सीटें तमिलनाडु में हैं जहां इस बार स्टालिन की पताका फहरती लग रही है. और स्टालिन वो नेता हैं जो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम चला चुके हैं. केरल का नतीजा जो भी हो, उसे बीजेपी के ख़िलाफ़ जाना है.