देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. कहीं CAA के विरोध में तो कहीं समर्थन में. विश्वविद्यालयों में हिंसा हो रही है. छात्र सड़कों पर है. संवादहीनता की कमी लगातार देखी जा रही है. लोकतंत्र में विरोध करने पर लोगों के साख बर्बरता की जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मुद्दों पर सरकार की ओर से संवाद का न होना क्या नाकामी है या सोची समझी रणनीति है?