हिमालय के पहाड़ों में हमेशा से एक बहस रही है कि क्या चीड़ का ज़रूरत से ज़्यादा विस्तार बांज (ओक), बुरांस और देवदार जैसी वनस्पति के घने जंगलों को धीरे-धीरे खा रहा है? चीड़ के इस विस्तार के लिए हमारी नीतियां और पहाड़ के जंगलों के प्रति हमारी सोच कितनी ज़िम्मेदार हैं, बांज यानी ओक किस तरह सदियों से पहाड़ की जान बना हुआ है? किस तरह बांज (ओक) और उसकी साथी वनस्पतियों के जंगल सदियों से मैदान की उर्वरता की वजह बने हुए हैं... देखिए ये ख़ास रिपोर्ट 'जंगल के दावेदार'