1999 वो साल था जब हर हिंदुस्तानी के जहन में दुश्मन की पोस्ट को तबाह करती बोफोर्स गन की दहाड़ और हिमालय की ऊंचाइयों में उड़ते चीता हेलीकॉप्टर की गर्जन बस चुकी थी. दुश्मन के हौंसलों को पस्त करने वाली इस गर्जन में भारत की पहली महिला एयरफोर्स पायलट्स भी शामिल थीं. उस वक्त फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना (Gunjan saxena) और फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्री विद्याराजन ने करीब 80 उड़ाने भरी और देश की जीत में योगदान दिया. गुंजन सक्सेना को युद्ध के दौरान साहस और कौशल के लिए शौर्य चक्र से नवाजा गया. अब करीब 20 साल बाद उनकी कहानी पर्दे पर उतर रही है.