उषा सिलाई स्कूल पारंपरिक कला की बहाली में कैसे दे रहे हैं योगदान
प्रकाशित: दिसम्बर 18, 2021 10:30 PM IST | अवधि: 21:04
Share
कई सिलाई स्कूलों के शिक्षक और उनके विद्यार्थी अपने स्थानीय पारंपरिक कला और शिल्प डिजाइन को अपने सिले उत्पादों में शामिल करने पर काम करते हैं. यह न केवल उन्हें बेहतर आय अर्जित करने में मदद करता है बल्कि स्वदेशी कला और शिल्प के संरक्षण और प्रचार में भी योगदान देता है. भुज में रबारी कढ़ाई, बिहार में सुजानी और मणिपुर में शादी के सेट कुछ पारंपरिक कलाएं हैं जिन्हें उषा सिलाई के नायकों और कारीगरों द्वारा पुनर्जीवित किया जा रहा है.