तो आज वाकई कई मांओं ने राहत की सांस ली होगी. कई पिताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद कहा होगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने न्याय पर भरोसा फिर से जगाया. उन्नाव मामले में बुधवार को ही मुख्य न्यायाधीश ने हैरत जताई थी कि उनके नाम इस पीड़िता के परिवार द्वारा भेजी गई चिट्ठी के बारे में मीडिया से पता चला. तो गुरुवार को कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के सेक्रेटरी जेनरल से पूछा की चिट्ठी 17 जुलाई को पहुंची तो मुझे इतनी देरी से 30 जुलाई को क्यों पता चला. जवाब था कि हर रोज़ 6000 पत्र आते हैं और उनकी स्क्रीनिंग यानी जांच होती है. उसके बाद ही पत्र को कोर्ट के सामने रखा जाता है. कोर्ट ने पीड़िता का पक्ष सुनने के दौरान कहा आख़िर हो क्या रहा है? क्या किसी भी कानून का पालन नहीं हुआ? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज सख़्त फ़ैसले लिए. उन्नाव रेप पीड़िता से जुड़े पांच केस यूपी से दिल्ली ट्रांसफ़र करने के आदेश दिए. इनमें बीते रविवार को पीड़िता की कार के साथ ट्रक से टक्कर का केस भी शामिल है. इन सभी मामलों की सुनवाई अब दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट में होगी. कोर्ट ने सड़क हादसे के मामले की जांच सात दिन में करने का आदेश दिया और कहा कि ज़रूरत पड़ी तो जांच के लिए सात दिन और बढ़ाए जा सकते हैं. कोर्ट ने रोज़ ब रोज़ सुनवाई का आदेश देते हुए कहा कि 45 दिनों में इन सभी मामलों सुनवाई पूरी की जाए. इस बीच पीड़िता, उसके वकील और दोनों के परिवारों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सीआरपीएफ़ को दे दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि पीड़िता को 25 लाख रुपए का अंतरिम मुआवज़ा शुक्रवार तक दे दिया जाए. हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि उसके आदेश में संशोधन के लिए आरोपी सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस का यह रुख यूपी सरकार, पुलिस, प्रशासन और यूपी की न्याय व्यवस्था पर एक कठोर टिप्पणी सा दिखा.