उन्नाव एक छोटा सा शहर है- कानपुर और लखनऊ के बीच में. इसकी एक ख़ास अहमियत है. अपने चमड़ा उद्योग, मच्छर जाली उद्योग, और रसायन उद्योग के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन पिछले एक साल से, और ख़ास तौर से अब, उन्नाव की चर्चा, रेप, हत्या, दबंगई की राजनीति भर रह गई है. ये ऐसा मसला है जिसमें पूरे प्रशासन ने, उसके हर अंग ने अपना काम नहीं किया. साल भर तक सेंगर निलंबित थे या नहीं- यह कोई नहीं जानता. अब आनन-फानन में, और वो भी बहुत पैर घसीटते हुए, बीजेपी ने सेंगर को निष्कासित किया. रेप मामले में सीबीआई को जांच सौंपने के बाद ट्रायल एक साल तक शुरू नहीं हुआ. पीड़िता के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी भेजी, जो कई दिन नहीं मिली. उन्होंने अपील की थी कि ये मामला यूपी से बाहर निकाला जाए. क्या पूरा तंत्र दोषी नहीं है? इंसाफ़ कहां है? तो मुक़ाबला में हमारा सवाल है, 1. उन्नाव के धब्बों से दाग़दार हुई बीजेपी? 2. कैसे धुलेंगे उन्नाव के दाग़?