2018 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने बिहार के तीन मेडिकल कॉलेजों का दौरा किया था. उस रिपोर्ट में एमसीआई ने कुछ फैसले किए थे. एमसीआई ने मेडिकल की 250 सीटें कम कर दीं थी. यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. बिहार सरकार ने चुनौती दी है कि 250 सीट पर प्रोविजनल एडमिशन की अनुमति दी जाए. उधर, बिहार के अस्पतालों की 2017 में नेशनल रुरल मिशन की सीएजी ने ऑडिट की थी. बिहार के दस ज़िला अस्पतालों की ऑडिट में पता चला कि यहां पर 166 डॉक्टर कम हैं. 224 नर्स कम हैं. अस्पताल में नए स्टाफ के लिए ओरिएंटेशन नहीं होता है, जबकि इसके लिए पूरी गाइडलाइन है. बिहार में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ज़रूरत से आधे कम हैं. बिना एक्सपायरी डेट चेक किए हुए ही दवा दे दी जाती है. पैरासिटामोल और बी काम्पलेक्स जैसी आम दवाएं नहीं थीं.