महाराष्ट्र के किसानों का एक जनसैलाब मार्च कर के मुंबई पहुंचा. 35 हजार किसानों ने अपनी फसलों के लिए बेहतर दाम और जमीन पर अपने हक की मांग को लेकर नासिक से 165 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की 6 दिनों में. ये मार्च नासिक के आदिवासी विधायक जीवा पांडू गावित के नेतृत्व में हुआ.
रैली आयोजकों ने पहले मार्च का आखिरी पड़ा सोमवार को पूरा करने की सोची थी. लेकिन लीडरों ने तय किया चूंकि बच्चों के इम्तहान हैं, उन्हें मुश्किल न हो इसलिए रात भर मार्च कर सुबह सवेरे आजाद मैदान पहुंचे. लेकिन इस मार्च ने हमारे सामने कई सवाल खड़े किए हैं. जब देश के हजारों किसान मार्च कर रहे हैं तब देश के कृषि मंत्री राधामोहन सिंह इस पर चुप क्यों रहे? क्या किसानों की अनदेखी बढ़ी है? क्या किसानों के मुंबई मार्च ने हमें विरोध करना सिखाया है?