बिहार के किसी भी ज़िले में जाइये वहां एक ढंग का कालेज नहीं मिलेगा. जहां न पढ़ाई होती है न परीक्षा. इसके बाद भी उन ज़िलों के छात्र कोचिंग कर, स्वाध्याय कर बड़े सपने देखते हैं. दिन रात पढ़ाई करते हैं. तभी तो हर दिन हम इन शहरों से कामयाबी के नए नए किस्से सुनते हैं. अब इन शहरों को दंगों में झोंका जा रहा है ताकि छात्र पढ़ाई छोड़कर हिन्दू मुस्लिम टापिक में व्यस्त हो जाएं. यही चर्चा करें कि मुसलमान का मन बढ़ गया है और हिन्दू के हाथ में तलवार आ गया है.