क्या ये मुमकिन है कि एक वक़्त में एक ही नाम का टीचर तीन अलग-अलग ज़िलों में एक साथ पढ़ा रहा हो और तीनों के पिता के नाम, आधार कार्ड और पैन कार्ड भी एक ही हों. उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में ये ख़ूब हो रहा है. इनमें एक टीचर असली है और बाक़ी फ़र्ज़ी. जब एक के बाद एक ऐसे कई मामले सामने आए तो स्पेशल टास्क फोर्स को जांच की ज़िम्मेदारी दी गई. इस जांच में अब तक 4000 से ज़्यादा ऐसे फ़र्ज़ी टीचरों की पहचान कर ली गई है. अंदेशा है कि इनकी तादाद इससे कहीं ज़्यादा है. कहा तो ये भी जा रहा है कि प्राइमरी शिक्षा पर उत्तर प्रदेश सरकार के 65 हज़ार करोड़ के बजट का क़रीब 10 से 15 हज़ार करोड़ ऐसे ही फ़र्ज़ी टीचर्स पर खर्च हो रहा है.