एनडीटीवी के साइंस एडिटर पल्लव बागला को भविष्य के रॉकेट निर्माण की प्रक्रिया को करीब से जानने का मौका मिला। इसरो में तीन दशक से काम करने वाले 53 साल के मोहन बताते हैं कि भारत के लिए आरएलवी डिज़ाइन करने के लिए उन्हें 15 साल पहले चुना गया था। वह कहते हैं कि आरएलवी को बनाना किसी सपने से कम नहीं क्योंकि यह बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण काम है। देखिए खास रिपोर्ट