ये सवाल अभी तक सबको परेशान कर रहा है कि बीजेपी क्यों जीती? अब एनडीए से नाराज़ नीतीश कुमार बता रहे हैं कि ये किसी एक चेहरे की जीत नहीं है. ये उनके काम की जीत है. लेकिन यूपी में क्या हुआ? वहां तो बीजेपी को घेरने की भरपूर तैयारी थी. मायावती और अखिलेश का अजेय लगता गठबंधन था. सब गिन रहे थे कि दलित-यादव और मुस्लिम वोट मिल कर बीजेपी का रथ रोक लेंगे. प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने प्रचार के मैदान में उतार दिया था. लेकिन बीजेपी ने सारे समीकरण ध्वस्त कर दिए. माया-अखिलेश-अजित के गठबंधन को बेमानी बना डाला. कांग्रेस की ओर से प्रियंका जैसे एक्स फैक्टर को भी नाकाम कर दिया. राज्य की 80 में से 62 सीटें जीत लीं. माना जा रहा है कि बीजेपी की इस जीत में कुछ योजनाओं का भी अहम योगदान रहा. ख़ास कर चुनाव से ठीक पहले लॉन्च की गई प्रधानमंत्री किसान योजना का. इसके मुकाबले कांग्रेस ने अपनी न्याय योजना रखी थी. लेकिन प्रचार में कमी रह गई. किसान तक पीएम की बात ही नहीं पहुंची, पैसा भी पहुंच गया. जबकि कांग्रेस का न्याय कुछ दूर रह गया. हमारे सहयोगी आलोक पांडेय की रिपोर्ट.