अब भारत सरकार और विदेश मंत्रालय के पास क्या विकल्प बचे हैं अपने पूर्व नौसैनिकों को बचाने के लिये. क्या कोई लीगल आप्शन्स हैं? सबसे उच्चतम स्तर पर बातचीत हो तो क्या भाऱत को राहत मिल सकती है? क्या इजराय़ल-हमास युद्ध ने भारत के पास मौजूद विकल्पों को सीमित कर दिया है? जानिये इन सवालों के जवाब एक्यपर्टस से --