जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने पिछले दिनों राज्य में हुए सियासी उठापटक पर कहा कि बहुमत असेंबली में देखा जाना चाहिए न कि राजभवन में. राज्यपाल को असेंबली बुलानी चाहिए, जहां कोई दिखा सकता है कि उसके पास बहुमत है या नहीं. असेंबली ही सुप्रीम है. एनडीटीवी के खास प्रोग्राम 'हम लोग' में चर्चा के दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले 5 महीनों से राज्यपाल शासन था. हम लोग उनसे (राज्यपाल से) बार-बार कह रहे थे कि असेंबली भंग कर दीजिये, ताकि हम जनता के पास जाएं. 5 महीने वो इंतजार करते रहे कि हो सकता है कि बीजेपी सज्जाद लोन के साथ बहुमत हासिल कर ले. लोगों को खरीद ले...चाहे वो कांग्रेस के हों, पीडीपी के या फिर नेशनल कांफ्रेंस के, लेकिन यह नहीं हो सका. जब इन्होंने देखा कि राज्य में एक हुकुमत बनने वाली है जिसमें बीजेपी नहीं होगी, तो दिल्ली से एक आदेश आया और असेंबली भंग कर दी.