बजट से पहले उद्योग जगत ने रियायत के लिए दबाव बढ़ा दिया है. उसका कहना है, सरकार कारपोरेट टैक्स कम करे, बैंकों को पैसा मुहैया कराए और
बेरोज़गारी पर क़ाबू पाने के लिए ज़रूरी निवेश करे. 5 जुलाई के बजट पर उद्योगों की नजर है. वो चाहते हैं कि डूबे हुए क़र्ज़ के संकट और करीब 9 फ़ीसदी के एनपीए से जूझ रहे बैंकों को सरकार पैसा मुहैया कराए ताकि वह उद्योगों तक आए. फिलहाल बैंक उद्योगों को क़र्ज़ देने से बच रहे हैं. एसोचैम के अध्यक्ष बी गोयनका ने एनडीटीवी से बात करते हुए इस संकट को टालने के लिए स्टिमुलस पैकेज की मांग की. गोयनका ने कहा, 'वित्तीय क्षेत्र को विशेषकर NBFCs और बैंकों को राहत पैकेज की जरूरत है. बैंकों उद्योगों को कर्ज नहीं दे रहे. बजट 2019 में वित्त मंत्री को कर्ज की इस दिक्कत को दूर करना चाहिए.