बेंगलुरु के टाउन हॉल के बाहर मानव संसाधन मंत्रालय के ख़िलाफ़ उर्दू लेखकों, साहित्यकारों और विचारकों ने नारेबाज़ी की। इस प्रदर्शन में गिरीश कर्नाड भी शामिल थे। दरअसल ये लोग मानव संसाधन मंत्रालय के उस डेक्लेरेशन फॉर्म का विरोध कर रहे थे, जिसमें कहा गया है कि नेशनल काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज के तहत छपने वाले लेख में सरकार विरोधी बातें नहीं लिखी होनी चाहिए। ये संस्था उर्दू भाषा के प्रमोशन के लिए लेखकों, साहित्यकारों की मदद लेती है और HRD मंत्रालय के तहत काम करती है।