बनारस के घाट पर होली के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. उसमें एक रंग वेदपाठी छात्रों का भी नजर आया, जो यहां के अलग-अलग मठों में रहकर वेद की पढ़ाई करते हैं. बनारस के घाट पर जब यह होली खेलने निकले तो अबीर गुलाल के साथ फ़िल्मी या होली का गीत नहीं बल्कि स्वस्तिवाचन करते नजर आए.