प्रधानमंत्री मोदी को ऐतिहासिक जनादेश मिला है. बीजेपी का 40 दलों का गठबंधन विपक्ष के गठबंधनों पर भारी पड़ा है. यह जीत इतनी बड़ी है कि जीत के लिए इस्तमाल फार्मूलों में तय करना मुश्किल है कि कौन सबसे ज्यादा चला. जो भी आज़माया गया, वही चल गया. चुनावों के दौरान विश्लेषण में बात आई कि बालाकोट के कारण मोदी लहर पैदा हुई. इसके पीछे यह धारणा थी कि पुलवामा अटैक के पहले मोदी सरकार की स्थिति कमज़ोर हो गई थी. नतीजे बता रहे हैं कि पुलवामा नहीं होता और न ही बालाकोट तब भी प्रधानमंत्री मोदी की जीत पर शायद ही फर्क पड़ता. कोई भी और कैसा भी गठबंधन हो जाता, जनता मोदी को ही चुन रही थी. जो अच्छी बात रही वह यह कि विपक्ष ने इस चुनाव को 2014 की तरह एकतरफा नहीं होने दिया. 2014 में विपक्ष ढह गया था. 2019 में विपक्ष खड़ा हो गया था. अपनी क्षमता, महत्वकांक्षाओं और मजबूरियों के बीच चुनाव को एकतरफा नहीं होने दिया. विपक्ष भी अपने मुद्दे को लेकर जनता के बीच आत्मविश्वास के साथ गया. जनता ने दोनों में से एक प्रधानमंत्री मोदी को चुना. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने गठबंधन की जीत के लिए जनता को बधाई दी है लेकिन नतीजे बता रहे हैं कि जनता ने उनके नेतृत्व में अपना विश्वास ज़ाहिर किया है. आपने क्रिकेट का खेल देखा होगा. जब फाइनल मैच ख़त्म हो जाता है तब एंकर स्टेडियम में हारी हुई टीम के कप्तान को बुलाता है. प्रतियोगिता में रनर्स अप चेक देता है और हारी हुई टीम के कप्तान से पहले बात करता है. उसके बाद वह विजेता टीम के कप्तान को बुलाता है, ट्राफी देता है और फिर उनसे बात करता है. मैं क्रिकेट कम देखता हूं. फिर भी क्रिकेट का यह कायदा मुझे बेहद पसंद है.