भाजपा को जहां कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर के रूप में नया सहयोगी और एनडीए का नया घटक मिला तो वहीं उसके कुछ ही घंटों के बाद तमिलनाडु से खबर आई कि एआईएडीएमके ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया. भाजपा और एआईएडीएमके का चार साल पुराना रिश्ता टूटना क्या भाजपा के मिशन 2024 और मिशन दक्षिण के लिए झटका है? यह सवाल अब पूछा जा रहा है.