प्रकाशित: मार्च 11, 2019 10:18 PM IST | अवधि: 5:20
Share
पहले सोशल मीडिया पर चल रहे दो चुटकुले सुन लीजिए. पहला चुटकुला इस तरह है- मैंने दूधवाले से कहा कि आजकल दूध पतला क्यों आ रहा है? दूधवाले ने कहा, चुप कर बे पापी, तू गोमाता पर सवाल उठा रहा है? अब दूसरी तरफ़ का चुटकुला भी सुन लीजिए. विपक्षियों को भी थोड़ा क्रेडिट जाना चाहिए. पाक को ग़लतफ़हमी में डाले रखा कि हमारा पीएम फेंकू है, लेकिन बम फेंकू है- ये नहीं बताया. सोशल मीडिया की गली में चुटकुलों का ये खेल ख़तरनाक कब हो उठता है? जब इन्हीं के बीच से एक संदेश टपकता है कि सेना ने अपना काम कर दिया. अब देश में बैठे गद्दारों से निपटना जनता का काम है. जब चुनाव आयोग सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने की बात कर रहा है तो ये सवाल उठता है कि ये रुकेगा कैसे? ऊपर जो टिप्पणियां की गई हैं, कोई कैसे साबित करेगा कि उनका वास्ता चुनाव से है? उसमें किसी नेता का नाम नहीं है, किसी पार्टी का नाम नहीं है, किसी चुनाव का ज़िक्र नहीं है.