नैनीताल हाई कोर्ट की पंचायत चुनाव पर रोक, शनिवार को जारी हुई थी पंचायत चुनावों घोषणा

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव तिथि घोषित की थी राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 जुलाई और 15 जुलाई को दो चरणों में चुनाव की घोषणा की थी और 19 जुलाई को पंचायत चुनाव का परिणाम घोषित होना था.

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कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने चुनाव की तिथि निकाल दी. जबकि मामला कोर्ट चल रहा...
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  • उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगाई है.
  • कोर्ट ने आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया को नियमों के खिलाफ पाया है.
  • सरकार चुनाव प्रक्रिया को जारी रखने में विफल रही है.
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नैनीताल:

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हेतु निर्धारित किये गए आरक्षण के रोटशन प्रक्रिया को चुनौती देती याचिकाओं की सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक महरा की खण्डपीठ ने आरक्षण को नियमो के तहत तय नही पाते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है. साथ मे सरकार से जवाब पेश करने को कहा है. बीते शुक्रवार को कोर्ट ने राज्य सरकार से स्थिति से अवगत कराने को कहा था परन्तु राज्य सरकार आज  स्थिति से अवगत कराने में विफल रही है. कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने चुनाव की तिथि निकाल दी. जबकि मामला कोर्ट चल रहा है. जिसपर कोर्ट ने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी.

शनिवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड में पंचायत चुनाव तिथि घोषित की थी राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 जुलाई और 15 जुलाई को दो चरणों में चुनाव की घोषणा की थी और 19 जुलाई को पंचायत चुनाव का परिणाम घोषित होना था . लेकिन नैनीताल हाई कोर्ट ने पंचायत चुनावों की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

मामले के अनुसार बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य  ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव हेतु नई नियमावली बनाई साथ ही 11जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव हेतु लागू आरक्षण रोटशन को शून्य घोषित करते हुए इस वर्ष से नया रोटशन लागू करने का निर्णय लिया है. जबकि हाईकोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए हैं.

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याचिकाकर्ता के अनुसार इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है. जिस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं. इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि इसी तरह के कुछ मामले एकलपीठ में भी दायर हैं . जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने खण्डपीठ में 9 जून को जारी नियमों को भी चुनौती दी है . जबकि एकलपीठ के समक्ष केवल 11 जून के आदेश जिसमें अब नए सिरे से आरक्षण लागू करने का उल्लेख है,को चुनौती दी गई है .

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