उत्तराखंड का बड़ा LUCC चिटफंड घोटाला: 100 करोड़ ले भागे प्रमोटर्स, अनशन पर पीड़ित महिलाएं

धरने पर बैठी बबीता ने कहा कि वह एक एजेंट भी थीं और उनका खुद का पैसा भी लगा हुआ था. एक करोड़ से ज्यादा ज्यादा पैसा उन्होंने लोगों से कंपनी में लगवाया था. बबीता कहती हैं कि हम सब ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं हैं.

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  • उत्तराखंड की LUCC चिटफंड कंपनी ने करीब सौ करोड़ रुपए जालसाजी से हड़प लिए और प्रमोटर्स विदेश भाग गए हैं
  • लगभग 25 हजार एजेंट देहरादून में धरने पर बैठे हैं, जिनमें से एक महिला अनिश्चितकालीन अनशन पर है
  • कंपनी ने वर्ष 2016 में श्रीनगर गढ़वाल से कार्य शुरू कर प्रदेश में 37 शाखाएं खोलकर पैसा इकट्ठा किया था
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देहरादून:

उत्तराखंड में LUCC चिटफंड नाम की कंपनी ने आम लोगों के करोड़ों रुपए की जामपूंजी हड़प ली है जिसके बाद करोड़ों रुपया लेकर कंपनी के प्रमोटर्स विदेश भाग गए हैं. आम लोग इतने मजबूर हो गए हैं कि अब उनको अनशन पर बैठना पड़ रहा है. हालत यह है कि कंपनी के 25 हजार एजेंट देहरादून में धरने पर बैठे हैं जिसमें से एक महिला अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हुई है.

LUCC (loni Urban multi state credit & Thrift Co-operative Society)  उत्तराखंड के सबसे बड़े घोटाले में से एक है. लाखों लोगों का 100 करोड़ के करीब पैसा इस कंपनी ने हड़प लिया है और कंपनी के प्रमोटर्स विदेश भाग चुके हैं. हालांकि, इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश हो चुके हैं लेकिन अभी तक कंपनी के प्रमोटर्स की गिरफ्तारी को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. ऐसे में लगातार आम लोग जिनका पैसा इस चिटफंड कंपनी में लगा हुआ है वो सरकार से मांग कर रहे हैं कि कंपनी के प्रमोटर्स को पकड़ा जाए और उनका पैसा वापस लाया जाए.

उत्तराखंड में साल 2016 में श्रीनगर गढ़वाल में LUCC नाम की कंपनी ने सोसाइटी बनाकर आम लोगों से पैसा इकट्ठा करना शुरू किया था. पूरे प्रदेश में लगभग 37 ब्रांच LUCC की खोली गई थीं. LUCC चिटफंड कंपनी ने आम लोगों का भरोसा जीतने के लिए कंपनी में स्थानीय लोगों को भी नौकरी दी थी. लगभग 25 हजार कंपनी में एजेंट बने जिनके माध्यम से आम लोगों से पैसा इकट्ठा किया गया.

LUCC चिटफंड ने शुरू के सालों में लोगों द्वारा जमा किया गया पैसे पर ब्याज दिया और पैसा भी लौटा दिया. इसके बाद लोगों में भरोसा बन गया और लोगों ने ज्यादा रकम की फिक्स डिपॉजिट करना शुरू कर दिया. LUCC चिटफंड कंपनी ने श्रीनगर, कोटद्वार, चमोली, देहरादून और कई जगहों पर अपनी ब्रांच खोली और यहां के लोगों से पैसा इकट्ठा किया गया. कंपनी में पैसा जमा करने में ज्यादातर महिलाएं और पूर्व सैनिक और सैनिक के परिवार हैं.

अक्टूबर 2024 को यह कंपनी अपने सारे खाते और सेंटर्स बनाकर विदेश भाग गई तब जाकर लोगों को पता लगा कि उनके साथ बहुत बड़ी जालसाजी हो गई है. वैसे डायरेक्टर ब्रांच मैनेजर ने 29 सितंबर 2024 को अपनी अपनी ब्रांच बंद कर दी थी. यही नहीं इस कंपनी ने आम लोगों से पैसा इकट्ठा करने के लिए बड़े-बड़े सेमिनार प्रदेश में आयोजित किए और ज्यादा रिटर्न देने का लालच देकर कंपनी में पैसा जमा करवाया.

लगातार पीड़ित परिवार पिछले 11 महीना से आंदोलन कर रहे हैं. पीड़ित परिवारों का कहना है कि कंपनी के प्रमोटर्स को जल्दी गिरफ्तार किया जाए और उनका पैसा उनको वापस किया जाए. लगातार आंदोलन के बाद अब पीड़ित लोगों ने अनिश्चितकालीन अनशन पर धरना देना शुरू कर दिया है. देहरादून में कंपनी के एजेंट और पीड़ित परिवार धरना दे रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनको न्याय दिया जाए.

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चमोली जिले की सुशीला नेगी (LUCC फ्रॉड पीड़ित) अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं. सुशीला नेगी का कहना है कि वह अपने बच्चों को पड़ोसियों के भरोसे छोड़कर आ रखी हैं क्योंकि इस कंपनी में न सिर्फ उन्होंने अपना पैसा लगाया बल्कि एजेंट बनकर अन्य लोगों से भी पैसा इस कंपनी में लगाया था. अब सभी लोग हमसे पैसा मांग रहे हैं. हमारे पास पैसा नहीं है. सुशीला नेगी कहती हैं कि मेरा ₹6 लाख और लोगों का 22 लख रुपए मेरे द्वारा इस कंपनी में जमा किया गया था. हम मांग करते हैं कि सरकार जल्दी से इस कंपनी के लोगों को गिरफ्तार करें क्योंकि अब हम घर जाने लायक भी नहीं रह गए हैं. लोग हमसे अपना पैसा मांग रहे हैं और कंपनी यहां से भाग चुकी है. हमारा पैसा भी इस कंपनी में लगा हुआ है. सुशीला नेगी का कहना है कि आज वह अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हुई हैं. 

धरने पर बैठी बबीता ने कहा कि वह एक एजेंट भी थीं और उनका खुद का पैसा भी लगा हुआ था. एक करोड़ से ज्यादा ज्यादा पैसा उन्होंने लोगों से कंपनी में लगवाया था. बबीता कहती हैं कि हम सब ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं हैं. हमने अपनी एक-एक पाई जमा करवाई थी. किसी ने दूध बेचकर तो किसी ने मजदूरी कर पैसा इकट्ठा किया था. बबीता ने बताया कि हमें इस कंपनी में ज्वाइन कराते हुए कहा गया था कि आप आर्थिक रूप से आजाद रहेंगे और मजबूत हो जाएंगे अपने पति के साथ हाथ बटा सकेंगे. बबीता ने बताया कि गिरीश चंद्र बिष्ट, उर्मिला बिष्ट या जगमोहन बिष्ट, और पुष्पा यह वह लोग है जो कंपनी में बड़े पदों पर थे. इन पर कार्रवाई की जाए.

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रुद्रप्रयाग जिले की रोशनी गौड़ ने बताया कि 60 लाख का इन्वेस्टमेंट इस कंपनी में करवाया था और खुद का इनका 8 से 10 लख रुपए इसमें जमा है. रोशनी गौड़ ने बताया यह कंपनी कृषि मंत्रालय के अंतर्गत रजिस्टर्ज थी. जीएसटी सहित और सभी अधिकृत दस्तावेज उस समय इस कंपनी के पास थे. यह घोटाला मात्र एक राज्य का नहीं है बल्कि पूरे देशभर में है. आठ राज्यों में इस कंपनी के घोटाले का जाल फैला है. इसका मालिक समीर अग्रवाल अभी दुबई बैठा हुआ है.

सुनीता बिष्ट भी इस कंपनी की वजह से पीड़ित है. सुनीता बिष्ट ने बताया कि मेरी ब्रांच मैनेजर अनीता नेगी और अमन नेगी थे. सुनीता नेगी ने बताया कि जब मीटिंग होती थी तो हम पूछते थे कि यह पैसा जो जमा हो रहा है यह पैसा कहां लगेगा तो उनका कहना था कि यह पैसा विदेशों में सोने के खदान और तेल के कुओं में लगाया जाएगा इसलिए आपका पैसा सुरक्षित है. सुनीता ने यह भी बताया कि हमें बताया गया था कि यह पैसा टैक्स फ्री है जितना आप जमा कराते हैं उतना तो मिलेगा ही उसके अलावा उसे पर ब्याज भी दिया जाएगा. सुनीता ने यह भी दावा किया कि हमसे LIU वाले रिपोर्ट ले जाते थे और हमें यह बोला जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार से इसका कोई मतलब नहीं है लेकिन हमारा यह सवाल है कि अगर उत्तराखंड सरकार से इसका कोई मतलब नहीं है तो एल आई यू वाले हमसे रिपोर्ट क्यों ले जाते थे.

देहरादून की सरिता बिष्ट ने कहा कि उनके पति सेना में है और बॉर्डर पर देश की सुरक्षा कर रहे हैं. उनका कहना है कि मेरा खुद का 15 लाख रुपए कंपनी में डिपाजिट है जिसमें 5 लाख उसके खुद के हैं और 10 लाख रुपए अन्य लोगों के जमा हैं. सरिता कहती हैं कि 3 साल पहले इस कंपनी में फिक्स्ड डिपॉजिट खोला और मुझे अच्छा ब्याज मिला जिसके बाद मैंने अन्य लोगों को भी से भी कंपनी में पैसा जमा करने को कहा लेकिन यह कंपनी हमारा पैसा लेकर भाग गई. मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं. जिनको मैं घर छोड़कर यहां पर धरना देने आई हूं क्योंकि हम सब की एक ही मांग है कि आरोपियों को पकड़ा जाए और हम सब का पैसा वापस लाया जाए.

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