1 आदमखोर तेंदुआ और मचान पर 3 शिकारी, उत्तराखंड के पौड़ी में खौफ के बीच चल रही अलग ही लुकाछिपी

शिकारी जॉय हुकिल ने एनडीटीवी से कहा कि तेंदुए को करने का निर्णय तभी लिया जाता है जब उसकी गतिविधियों से साफ हो जाता है कि वह नरभक्षी हो गया है. लेपर्ड बेहद ही शातिर, सबसे चालाक बिल्ली प्रजाति का जानवर होता है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
तेंदुए को पकड़ने के लिए शिकारी तैनात.
पौड़ी:

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के गजल्ड गांव में गुलदार के हमले में एक व्यक्ति की मौत के बाद लोगों में खौफ और गुस्से का माहौल है. जिसके बाद सरकार हरकत में आ गई है. प्रदेश के मशहूर शिकारी जॉय हुकिल और राकेश चंद्र को नरभक्षी गुलदार को ढेर करने के लिए तत्काल क्षेत्र में तैनात कर दिया गया है, जबकि विभागीय शिकारी पहले से ही मौके पर डटे हुए हैं.

ये भी पढ़ें- उत्तराखंड: पिंजरे में कैद हुआ काशीपुर में दहशत फैलाने वाला गुलदार, फिर जंगल में छोड़ा गया

तेंदुए को पकड़ने के लिए शातिर शकारी तैनात

पौड़ी जिले में ग्रामीणों के साथ ही वन विभाग के लिए मुश्किल बना तेंदुआ लगातार परेशानी पैदा कर रहा है.वन विभाग ने नरभक्षी गुलदार को पकड़ने के लिए शिकारी तैनात कर दिए है. उम्मीद है की जल्द ही आतंक का पर्याय बने नरभक्षी गुलदार का खात्मा हो जाएगा. उत्तराखंड वन विभाग ने दो बेहतरीन शिकारी और इस मामले में एक्सपर्ट एक अन्य शिकारी को तैनात किया है. जॉय हुकिल और राकेश चंद्र को आदमखोर तेंदुए को मारने के लिए तैनात किया है. दोनों ही शिकारियों ने अब तक 67 से ज्यादा तेंदुओं को ढेर किया है. यह सभी तेंदुए आदमखोर हो गए थे, जिनको दोनों शिकारियों ने अपनी गोलियों से ढेर कर दिया.

शिकारी जॉय हुकिल ने अब तक 47 तेंदुए किए ढेर

मशहूर शिकारी जॉय हुकिल अब तक 47 आदमखोर तेंदुए मार चुके हैं. जॉय हुकिल को लगभग 20 साल से ज्यादा का अनुभव है. पौड़ी जिले के रहने वाले जॉय हुकिल उत्तराखंड के बेहतरीन और अनुभवी शिकारियों में गिने जाते हैं. अपने 20 साल के करियर में जॉय हुकिल ने 47 से ज्यादा आदमखोर तेंदुओं को ढेर किया है और करीब 7 तेंदुए को पिंजरे में जिंदा पकड़ा है. जॉय हुकिल ने पौड़ी, नैनीताल ,उत्तरकाशी ,अल्मोड़ा ,चमोली, टिहरी और रुद्रप्रयाग में सक्रिय रहे हैं. साल 2007 में जॉय हुकिल ने कीर्ति नगर के बरियरगढ़ में पहले नरभक्षी तेंदुआ मार गिराया था. इसके बाद 2023 में भी उन्होंने नैथाण में नरभक्षी तेंदुआ मार गिराया था.

जॉय हुकिल ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि तेंदुए को करने का निर्णय तभी लिया जाता है जब उसकी गतिविधियों से साफ हो जाता है कि वह नरभक्षी हो गया है. लेपर्ड बेहद ही शातिर, सबसे चालाक बिल्ली प्रजाति का जानवर होता है. जब यह समाज और इंसानों के लिए खतरनाक हो जाता है तब इसे मारना जरूरी होता है. जब तेंदुआ खतरनाक हो जाता है तो उसको उसे जगह से ट्रेंकुलाइज कर या फिर पिंजरे में डालकर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाता है.

आदमखोर तेंदुए को हटाना क्यों जरूरी?

उन्होंने बताया कि आदमखोर और खतरनाक बन चुके तेंदुए को हटाना इसलिए जरूरी है क्योंकि वह दूसरे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि तेंदुए को मारना आसान नहीं होता. मन में कई तरह के सवाल होते हैं. लेकिन जब इंसानों की आधी खाई लाशे, बूढ़े बच्चे और महिलाओं की आधी खाई लाशे देखता हूं तो मेरे मन में सिर्फ यही सवाल होता है कि उसे मारना जरूरी है.

जॉय हुकिल ने बताया कि आदमखोर तेंदुए की पहचान अनुभव से की जाती है. पंजे के निशान को देखकर पता लगाया जाता है कि यह मादा है या नर. जॉय हुकिल ने बताया कि नरभक्षी तेंदुए के इंतजार में उन्होंने 40- 40 घंटे एक ही जगह पर गुजरे हैं. वह 24 घंटे बिना खाए पिए नरभक्षी तेंदुए को करने के लिए बैठे रहे हैं. इसलिए अनुभव से पता चलता है कि तेंदुआ नरभक्षी है और उसको जगह से हटाना बेहद जरूरी है. वन विभाग ने गांव के आसपास पांच पिंजरे और कई ट्रैप कैमरा लगाए हैं, ताकि गुलदार की मूवमेंट स्पष्ट रूप से ट्रैप हो सके. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अब विलंब बर्दाश्त नहीं जल्द से जल्द नरभक्षी गुलदार को मार गिराया जाए.

Advertisement

शिकारी राकेश चंद्र को 30 साल का अनुभव

वही राकेश चंद्र एक ऐसे शिकारी है जिनको लगभग तीन दशक का अनुभव है. राकेश चंद्र ने भी करीब 20 नरभक्षी तेंदुओं को मारा है इसके अलावा 24 तेंदुए को जिंदा पकड़ा भी है. पौड़ी जिले के रहने वाले राकेश चंद्र राज्य के अनुभवी शिकारी माने जाते हैं. साल 1990-91 में पौड़ी जिले के ल्वाली क्षेत्र में पहला नरभक्षी तेंदुआ उन्होंने मारा था. 2015-16 में बाबू के मासों में सक्रिय नरभक्षी तेंदुआ मारकर उसे क्षेत्र के ग्रामीणों को राहत दी थी.

उत्तराखंड वन विभाग ने अरविंद कुमार को भी तैनात किया गया है. अरविंद कुमार वन विभाग में वन दरोगा और विभागीय शूटर हैं. अरविंद कुमार ने अब तक 35 तेंदुए को रेस्क्यू किया है. उत्तराखंड वन विभाग ने पौड़ी जिले के गजल्ड गांव में आतंक का पर्याय बने तेंदुए को करने के लिए अरविंद कुमार को भी भेजा है. वन विभाग ने विभाग के शूटर के रूप में एक रिटायर डिप्टी रेंजर को भी उसे गांव में तैनात किया है, ताकि जल्द इस नरभक्षी तेंदुए को मारा जाए. इसके अलावा करीबन पांच से छह पिंजरे भी लगाए ताकि तेंदुए को पकड़ा भी जा सके.

Advertisement

पंजों के निशान से पता चलता है तेंदुए का मूवमेंट

शिकारी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इस क्षेत्र में तेंदुए की गतिविधियां ज्यादा हैं. कई बार तेंदुआ झाड़ी में दिखा या फिर उसके आसपास क्षेत्र में दिख चुका है. पंजों के निशान से यह पता लगाया जा रहा है कि तेंदुए का मूवमेंट किस तरफ ज्यादा है. पिछले तीन से चार दिन से शिकारी इस ताक में बैठे हैं कि तेंदुआ उन्हें दिखे और वे उसे मार सकें. लेकिन शिकारी का कहना है कि तेंदुआ बेहद ही शातिर और चालाक जानवर है, ऐसे में उसे पकड़ने के लिए लंबा समय भी लग सकता है.

Featured Video Of The Day
Babri Masjid: क्या Humayun Kabir के हाथों में होगी किंगमेकर की कमान? | Bengal Elections 2026