ऊपर से दरका पहाड़, नीचे से खिसकी जमीन... गंगनानी से सुक्खी टॉप तक तबाही का मंजर, देखें तस्वीरें

धराली के हादसे के बाद ग्राउंड जीरो पर पहुंची NDTV की टीम ने जगह-जगह से डैमेज हुई सड़क की तस्वीरें साझा की है. इन तस्वीरों को देखकर आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर क्यों धराली तक पहुंचना इतना टफ है?

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उत्तरकाशी में धराली जाने वाली सड़क का ये हाल देखिए.
उत्तरकाशी:

Uttarakhand Landslide: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित धराली गांव में 5 अगस्त को आई प्राकृतिक आपदा के आज 5 दिन बीत चुके हैं. लेकिन अभी तक धराली से सड़क संपर्क स्थापित नहीं हो सका है. धराली, गंगोत्री से हेलीकॉप्टर के जरिए वहां फंसे लोगों का रेस्क्यू किया जा रहा है. लेकिन धराली के हादसे में कितने लोग लापता हुए, इसका आंकड़ा तक नहीं मिल सका है. धराली में आए तबाही के मंजर की तस्वीरें और वीडियो तो आप कई देख चुके होंगे, लेकिन धराली तक जाने वाला रास्ता किस कदर डैमेज हुआ है, उसकी तस्वीरें अभी तक ओझल थी.

धराली के हादसे के बाद ग्राउंड जीरो पर पहुंची NDTV की टीम ने जगह-जगह से डैमेज हुई सड़क की तस्वीरें साझा की है. इन तस्वीरों को देखकर आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर क्यों धराली तक पहुंचना इतना टफ है.

उत्तरकाशी से धराली तक पहुंचने में 6 बड़ी चुनौतियां है. सबसे पहले मनेरी का लैंड स्लाइड है. यहां 50 मीटर तक सड़क बह गई. हालांकि लैंड स्लाइड के बाद एक्टिव हुई बीआरओ की टीम ने यहां अस्थायी सड़क बना ली है.

मनेरी से थोड़ा आगे बढ़ते ही फिर भटवाड़ी का लैंड स्लाइड नजर आता है. यहां करीब 40 मीटर तक सड़क गायब हो गया है. भटवाड़ी में जिस जगह सड़क टूटी वहां भी अस्थायी सड़क बनाई जा चुकी है.

भटवाड़ी से आगे बढ़ते ही पापड़ गाड आता है. पापड़ गाड में और खतरनाक स्थिति देखने को मिली. यहां करीब 150 मीटर की सड़क गायब हो गई. हालांकि दिन-रात की मेहनत के बाद पापड़ गाड में भी BRO ने अस्थाई सड़क बना ली है.

इन तीन चुनौतियों को पार करने के बाद गंगवानी आता है. गंगवानी का पुल तबाह हो चुका है. जिस कारण उत्तरकाशी से धराली या गंगोत्री की ओर जाने वाली गाड़ियां बीते कई दिनों से यहीं अटकी थी. हालांकि मनेरी, भटवाड़ी और पापड़ गाड में अस्थायी सड़क बनने के बाद गगवानी तक बीआरओ की टीम लोहे का पुल बनाने का साजो-सामान लेकर पहुंची. यहां लोहे का पुल बन भी गया है.


गंगवानी में लोहे का अस्थायी पुल बनने के बाद जान जोखिम में डालकर धराली तक पैदल पहुँचा जा सकता है. लेकिन डबरानी में फिर एक और लैंडस्लाइड का नजारा दिखता है. यहां 50 मीटर सड़क बह गई है. यहां से NDTV की टीम ने महज एक दो फीट चौड़ी सड़क को पैदल पार किया.

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इसके बाद छठी सबसे बड़ी चुनौती सोनगाड़ में देखने को मिली. जहां पूरी सड़क ही बह गई है. पहले PWD और BRO को लग रहा था कि दो दिन में गाड़ियों के लिए अस्थायी सड़क बना देंगे.


लेकिन NDTV की टीम के साथ PWD के इंजीनियर इन चीफ राजेंद्र चंद्र शर्मा ने पहली बार जब सोनगाड़ को देखा तो वो भी हैरान रह गए. एनडीटीवी से बात करते उन्होंने यह माना कि यहां गाड़ियों के लिए रास्ता बनाना आसान नहीं है.

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