उत्तराखंड: त्योहारी सीजन में मिलावटखोरों की खैर नहीं, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट कर रहा सैंपल इकठ्ठे

त्योहारी सीजन में जब डिमांड ज्यादा हो जाती है तो मुनाफा ज्यादा कमाना होता है. इसलिए सबसे ज्यादा मिलावट की जाती है. यही वजह है कि उत्तराखंड का फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट लगातार अभियान चला रहा है.

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देशभर में त्योहारी सीजन चल रहा है और ऐसे में दूध व उससे बने उत्पाद, खाद्य तेल, घी, मिठाई, मसाले, आटा, मैदा, बेसन, सूखे मेवे, कुट्टू का आटा उत्पादों की विशेष निगरानी रखी जा रही है. इसकी वजह त्योहारी सीजन में खाने पीने की चीजों में मिलावट का होना है, क्योंकि इस समय डिमांड ज्यादा हो जाती है. जब डिमांड ज्यादा हो जाती है तो आपूर्ति पूरी करने के लिए मिलावट खोर सक्रिय हो जाते हैं. दूध-दही, पनीर, मावा और अन्य चीजों में मिलावट मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है.

'उधम सिंह नगर नैनीताल में 500 सैंपल कलेक्ट किए'

ऐसे में जब डिमांड ज्यादा हो जाती है तो मुनाफा ज्यादा कमाना होता है. इसलिए सबसे ज्यादा मिलावट की जाती है. यही वजह है कि उत्तराखंड का फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट लगातार अभियान चला रहा है और सूबे के सभी 13 जिलों में लगातार छापेमारी कर रहा है. उत्तराखंड के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के मोबाइल फूड वैन डिप्टी कमिश्नर वीरेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि, "नैनीताल में त्योहारी सीजन को देखते हुए उधम सिंह नगर नैनीताल में 500 सैंपल कलेक्ट किए. देहरादून में जो भी मिठाइयां मिली हैं, वह क्वालिटी में बेहतरीन हैं. इसके अलावा दूध-पनीर की भी चेकिंग की गई. वहीं, नैनीताल के परिपेक्ष में बात की जाए तो उसमें स्टार्च की मिलावट देखने को मिली, जो तकरीबन 10 से 12% थी. वहीं, अगर मिठाइयों में कोई भी एक्स्ट्रा इनग्रीडिएंट अधिक मात्रा में हो तो वह भी मिलावट कहलाई जाती है. पिछले तीन वर्षों से उत्तराखंड में जन जागरूकता अभियान चलाने का काम  किया जा रहा है. इस साल जनवरी से लेकर अब तक 3,000 से अधिक टेस्टिंग की जा चुकी है. इसके अलावा 10,000 से अधिक लोगों को अवैध किया जा चुके है."

'बॉर्डर पर भी चेकिंग कर मिठाई के सैंपल को लैब भेजा जा रहा है'

फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के सीनियर फूड सेफ्टी ऑफिसर रमेश सिंह का कहना है कि, "फेस्टिवल सीजन में  सबसे ज्यादा मिलावट की जाती है. इसलिए हर जिले में फूड सेफ्टी डिपार्मेंट मिठाइयों की दुकानों के अलावा दूध-दही, पनीर की सप्लाई करने वालों के यहां चेकिंग हो रही है. देहरादून की सभी बड़े मिष्ठान विक्रेताओं को निर्देशित किया गया था कि अपने प्रोडक्ट का आकार मौके पर जांच कराएं. जांच करने पर कई मिष्ठानों के सैंपल पास हुए हैं,  जो मानक के अनुरूप पाए गए हैं. हम लोगों का उद्देश्य है कि त्योहारी सीजन में जनता तक शुद्ध मिठाइयां पहुंचें. इसलिए बॉर्डर पर भी चेकिंग कर मिठाई के सैंपल को लैब भेजा जा रहा है. लैब रिपोर्ट आने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी."

'सैंपल फेल होने पर उसे रुद्रपुर की प्रयोगशाला में भेजा जाता है'

मोबाइल लैबोरेट्री वैन जूनियर लैब असिस्टेंट रमेश जोशी ने बताया कि,"दूध में डिटर्जेंट ,यूरिया या फिर अन्य प्रकार की मिलावटों की जांच की जाती है. इसी तरह से मावा में भी जांच की जाती है. मिठाइयों में स्टार्च की भी जांच होती है. सबसे अधिक मिलावट दूध में होती है. इसके लिए हमारे पास एक किट है, जिसमें कई केमिकल होते हैं, जिनके माध्यम से सैंपल को चेक किया जाता है. वहीं, पनीर में डिटर्जेंट और पाम तेल की मिलावट होती है, जिसकी जांच वैन में ही की जाती है. सैंपल फेल होने पर उसे रुद्रपुर स्थित प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जिसके बाद फाइनल रिपोर्ट आती है. उसके बाद लीगल कार्रवाई की जाती है."

'हमारा प्रयास है कि जनता को शुद्ध चीजें मिलें'

देहरादून जिले के फूड सेफ्टी अधिकारी मनीष सायन ने बताया कि, "इस समय यानी त्योहारी सीजन में दूध से बने पदार्थों की डिमांड ज्यादा होती है. ऐसे में आपूर्ति कम हो पाती है. इसलिए मिलावट होने की आशंका ज्यादा होती है, इसलिए सैंपल इकठ्ठे और छापेमारी की जा राही है, ताकि मिलावट न हो पाए. हमारा प्रयास है कि जनता को शुद्ध चीजें मिलें.

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