उत्तराखंड: विकासनगर में 11 मजदूरों को नदी से, सोनप्रयाग में 40 श्रद्धालुओं का रेस्क्यू; केदारनाथ यात्रा रोकनी पड़ी

उत्तराखंड में सोनप्रयाग के पास मुनकटिया में बारिश के कारण भूस्खलन हुआ जिसके बाद आज केदारनाथ यात्रा अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई.

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  • उत्तराखंड के विकासनगर में बाढ़वाला साधना केंद्र के पास नदी का जलस्तर अचानक बढ़ा
  • 11 मजदूर और एक ट्रैक्टर बीच धारा में फंस गए, SDRF ने रेस्क्यू कर बचाया
  • सभी मजदूरों को सुरक्षित नदी से बाहर निकाला गया, रेस्क्यू में त्वरित कार्रवाई की गई
  • सोनप्रयाग में भारी बारिश से भूस्खलन हुआ, केदारनाथ यात्रा अस्थायी रूप से स्थगित
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देहरादून:

उत्तराखंड के विकासनगर के बाढ़वाला साधना केंद्र आश्रम के पास एक नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने से 11 मजदूर और एक ट्रैक्टर बीच धारा में फंस गए. इस घटना की सूचना मिलते ही एसडीआरएफ (SDRF) की डाकपत्थर टीम तुरंत मौके पर पहुंची और स्थानीय पुलिस के सहयोग से फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. SDRF ने अत्यंत सावधानी और सुरक्षित तरीके से राहत कार्य चलाया. जिसमें चार महिलाओं और सात पुरुषों सहित कुल 11 मजदूरों को सकुशल नदी से बाहर निकाला गया. इस ऑपरेशन में टीम की त्वरित कार्रवाई और समन्वय ने मजदूरों की जान बचाई. 

सोनप्रयाग के पास भूस्खलन, केदारनाथ यात्रा रोकी गई

उत्तराखंड में सोनप्रयाग के पास मुनकटिया में बारिश के कारण भूस्खलन हुआ जिसके बाद आज केदारनाथ यात्रा अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई. पुलिस ने बताया कि मलबे और पत्थरों से मुनकटिया में सड़क पूरी तरह से अवरुद्ध हो गई है. उसने बताया कि गौरीकुंड से लौट रहे कुछ तीर्थयात्री क्षेत्र में फंस गए थे लेकिन राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के कर्मचारियों ने उन्हें वहां से निकाला और सुरक्षित सोनप्रयाग पहुंचाया. एहतियात के तौर पर केदारनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी गई है।

केदारनाथ में फंस गए थे श्रद्धालु 

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम से लौट रहे 40 श्रद्धालु सोनप्रयाग स्लाइड जोन में फंस गए, जिन्हें अब रेस्क्यू कर लिया गया है. दरअसल, भारी बारिश के चलते सोनप्रयाग के पास स्थित स्लाइड जोन में अचानक भूस्खलन (लैंडस्लाइड) हो गया, जिससे केदारनाथ धाम से दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालु फंस गए. घटना की सूचना मिलते ही मौके पर तैनात राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के जवान तुरंत हरकत में आए. एसडीआरएफ की टीम ने श्रद्धालुओं तक सुरक्षित रास्ता बनाकर उन्हें सकुशल स्लाइड जोन से बाहर निकाला. ये सभी यात्रा देर रात 10 बजे से स्लाइड जोन में फंसे हुए थे.

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एसडीआरएफ ने श्रद्धालुओं को तत्काल राहत पहुंचा दी है, लेकिन रास्ता पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. धाम से आ रहे श्रद्धालुओं को एसडीआरएफ लगातार सुरक्षित एरिया में पहुंचा रही है. इससे पहले, रविवार को भारी बारिश और भूस्खलन की आशंका को देखते हुए चारधाम यात्रा एक दिन के लिए स्थगित कर दी गई थी. लोगों की सुरक्षा के लिए यह एहतियाती कदम उठाया गया है. हालांकि, एक दिन बाद सोमवार को ही यात्रा को फिर से शुरू कर दिया गया था.

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चारधाम यात्रियों के लिए जरूर सलाह

बीते दिनों गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने तीर्थयात्रियों से आग्रह किया था कि वे जहां हैं, वहीं रहें और स्थिति में सुधार होने तक केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा करने से बचें. संबंधित जिलों के प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है और बचाव और राहत दल सक्रिय कर दिए गए हैं. बीते कुछ दिनों से हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण कई जगह मार्ग अवरुद्ध हैं. चार धाम यात्रा करने आए श्रद्धालुओं को मौसम संबंधी जानकारी लेने के बाद ही अपनी यात्रा शुरू करने और यात्रा के दौरान सतर्क रहने की अपील की गई है. प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव ने भी लोगों को बारिश के दौरान गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी है.

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अलकनंदा खतरे के निशान से ऊपर

बद्रीनाथ क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश के चलते मां अलकनंदा उफान पर बह रही है. नदी खतरे के निशान पर बह रही है, जिससे नदी से सटे आवासीय भवनों खतरा पैदा हो गया, जबकि आज सुबह नदी का जल प्रवाह अचानक से बढ़ने से बाल्मीकि समाज के 04 आवासीय भवनों में जल भराव की स्थिति पैदा हो गई. लोगों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई. इसके साथ ही जिला चिकित्सालय और बाल्मीकि बस्ती को जोड़ने वाला पुल भी नदी में डूब गया.

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पहाड़ों में लगातार मूसलाधार बारिश जारी है. बारिश के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. बद्रीनाथ क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश के चलते आज सुबह नदी का जल स्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे आस-पास भवनों को खतरा पैदा हो गया. बाल्मीकि समाज के 04 परिवारों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई. बेलनी पुल के नीचे 15 फीट ऊंची शिव मूर्ति भी जलमग्न हो चुकी है. आने-जाने वाले पैदल मार्ग भी डूब चुके हैं. इसके अलावा प्रसिद्ध कोटेश्वर मंदिर गुफा तक पानी आ गया है.

(भाषा इनपुट्स के साथ)

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