रेलवे की जमीन पर ‘50 हजार जिंदगियां’… बनभूलपुर मामले पर सुनवाई क्यों है इतनी अहम? समझें पूरा विवाद

हल्द्वानी के बलभूनपुरा में रेलवे के 30 हेक्टेयर के इलाके में 5 हजार परिवार के कुल 50 हजार लोग रहते हैं. मकान, दुकानें, स्कूल, मस्जिदें सब हैं. दशकों पुरानी बसावट है. ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि ये बसावट बचेगी या टूट जाएगी.

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  • बनभूलपुरा में 30.04 हेक्टेयर रेलवे भूमि पर बसे 50 हजार से अधिक लोगों के भविष्य का फैसला SC करेगा.
  • फरवरी 2024 में नगर निगम द्वारा अवैध मस्जिद ध्वस्त करने के बाद बनभूलपुरा में हिंसा भड़क उठी थी.
  • विवाद 2007 से शुरू होकर हाईकोर्ट और SC तक पहुंचा है लेकिन अब तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पूरी नहीं हुई.
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हल्द्वानी:

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है. 30.04 हेक्टेयर रेलवे भूमि पर बने 4365 अतिक्रमणों और वहां रहने वाले 50 हजार से ज्यादा लोगों के भविष्य का फैसला इस सुनवाई में तय होना है. इलाके में तनाव की वजह सिर्फ कानूनी लड़ाई नहीं है, फरवरी 2024 में भड़की हिंसा की टीस आज भी उस इलाके में ताजा है.

क्या है पूरा विवाद?

यह विवाद हल्द्वानी (उत्तराखंड) में रेलवे की जमीन पर वर्षों से हुए अतिक्रमण को लेकर है. हाईकोर्ट ने 2007 में पहली बार अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था, लेकिन कार्रवाई अधूरी रही. 2016 में कोर्ट ने फिर रेलवे को निर्देश दिए, पर अतिक्रमण नहीं हटा. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां प्रभावितों के पुनर्वास की मांग उठी. लगभग 30 एकड़ जमीन और 50 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. 

फरवरी 2024 में क्यों भड़की थी बनभूलपुरा में हिंसा?

फरवरी 2024 की घटना इस पूरे मामले को और संवेदनशील बनाती है. 8 फरवरी 2024 को बनभूलपुरा में नगर निगम ने 'अवैध' मस्जिद को ध्वस्त किया. इस कार्रवाई को लेकर भारी विरोध हुआ. अतिक्रमण हटाने के नोटिस के खिलाफ भीड़ इकट्ठा हुई और देखते ही देखते माहौल बेकाबू हो गया. पुलिस पर पथराव, आगजनी, सरकारी वाहनों को फूंकने और गोलीबारी तक की नौबत आ गई. कई लोगों की जान गई. उपद्रवियों ने पुलिस थाने और सरकारी संपत्ति पर हमला किया, जिसके बाद पूरा हल्द्वानी कर्फ्यू जैसी स्थिति में पहुंच गया. हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हुए, वहीं बड़ी संख्या में लोगों पर मुकदमे दर्ज हुए.

इन दंगों ने प्रशासन को साफ संदेश दिया कि बनभूलपुरा सिर्फ अतिक्रमण का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक तौर पर ज्वलनशील क्षेत्र है. इसीलिए आज के फैसले से पहले जिला प्रशासन और पुलिस दोनों अलर्ट मोड पर हैं.

बनभूलपुरा में भारी पुलिसबल तैनात

आज सुप्रीम कोर्ट क्या तय करेगा?

  • क्या 30.04 हेक्टेयर रेलवे भूमि खाली होगी?
  • क्या 4365 घरों पर बुलडोज़र चलेगा?
  • क्या पुनर्वास पर कोई आदेश आएगा?
  • या फिर मामला किसी बड़ी बेंच या कमिटी को भेजा जाएगा? देश की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं.

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फैसले से पहले बनभूलपुरा में हलचल, सुरक्षा कड़ी

इस मामले की सुनवाई के मद्देनजर हल्द्वानी में सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व स्तर पर कड़ी कर दी गई है. नैनीताल पुलिस और जिला प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अलर्ट मोड में हैं. संवेदनशील क्षेत्र बनभूलपुरा को पूरी तरह सील कर दिया गया है. यहां बाहरी व्यक्तियों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है. शहर के भीतर और सीमावर्ती इलाकों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है.

सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम

  • बैरिकेडिंग, फ्लैग मार्च और ड्रोन निगरानी
  • मेटल डिटेक्शन और एंटी-सबोटाज ऑपरेशन
  • BDS टीमों द्वारा बम जांच
  • सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और साइबर सेल की सक्रियता

स्थानीय आईडी अनिवार्य, संदिग्धों पर नजर

बनभूलपुरा के कोर इलाकों में लोकल आईडी के बिना प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है. पुलिस ने भड़काऊ पोस्ट और अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

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10 दिसंबर को भारी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध

सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक जिले की सीमाओं में भारी वाहनों की आवाजाही बंद रहेगी. जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी मालवाहक ट्रकों को रोकने के निर्देश जारी किए गए हैं. रामपुर, किच्छा, बरेली, बाजपुर, सितारगंज और काशीपुर से आने वाले वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से भेजा जाएगा. पर्वतीय रूटों के लिए टनकपुर–चंपावत मार्ग का इस्तेमाल करना होगा.

प्रशासन ने नागरिकों से शांति बनाए रखने, सोशल मीडिया पर अफवाहों से बचने और यातायात नियमों का पालन करने की अपील की गई है. प्रशासन का स्पष्ट संदेश है कि किसी भी अराजकता पर तुरंत सख्त कार्रवाई होगी.

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इस 30 हेक्टेयर के इलाके में 5 हजार परिवार के कुल 50 हजार लोग रहते हैं. मकान, दुकानें, स्कूल, मस्जिदें सब हैं. दशकों पुरानी बसावट है. ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि  ये बसावट बचेगी या टूट जाएगी.

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