15 लाख में पास की गारंटी! उत्तराखंड में गिरफ्तार नकल माफिया हाकम सिंह की पूरी कहानी जानिए

हाकम सिंह रावत एक तरह से भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी ही नहीं बल्कि सरगना रहा है. हाकम सिंह रावत लिवाड़ी गांव का रहने वाला है और यहां से एक बार ग्राम प्रधान भी रह चुका है.

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  • उत्तराखंड में ग्रेजुएट लेवल की सरकारी परीक्षा का पेपर परीक्षा शुरू होने के 35 मिनट बाद लीक हुआ था.
  • उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने पेपर लीक का आरोप लगाया है जबकि एसएससी अध्यक्ष ने केवल तीन सवाल लीक होने की बात कही.
  • नकल माफिया हाकम सिंह रावत और उसके साथी ने अभ्यर्थियों से पास करवाने का लालच देकर लाखों रुपए वसूले थे.
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देहरादून:

एक बार फिर से उत्तराखंड में सरकारी परीक्षा में पेपर लीक होने का मामला सामने आया है. पेपर लीक होने का दावा उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने किया है. बेरोजगार संघ का कहना है कि 21 सितंबर को ग्रेजुएशन की परीक्षा जिसमें असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर पटवारी लेखपाल ग्राम विकास पंचायत अधिकारी समेत ग्रेजुएट लेवल के कई पदों के लिए परीक्षा होनी थी. सरकारी परीक्षा का पेपर सुबह 11 बजे शुरू हुआ और सिर्फ 35 मिनट बाद एग्‍जाम सेंटर से बाहर लीक हो गया.हालांकि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (एसएससी) जो सरकारी परीक्षाएं आयोजित करता है उसका दावा है कि पेपर लीक नहीं हुआ है बल्कि पेपर के तीन सवाल ही बाहर आये हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह दावा किसी और ने नहीं बल्कि आयोग के अध्यक्ष ने किया है. 

अभ्‍यर्थियों को दिया गया लालच 

21 सितंबर को होने वाली स्नातक परीक्षा से ठीक एक दिन पहले अभ्यर्थियों को पास करवाने का लालच देकर उनसे 12 से 15 लाख रुपए की रकम मांगी गई थी. इस रकम को मांगने वाला कोई और नहीं बल्कि नकल माफिया हाकम सिंह रावत और उसका एक साथी ही था.  उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ ने इसमें बड़ी कार्रवाई करते हुए रावत को गिरफ्तार कर लिया है. हाकम सिंह रावत जो इस पेपर लीक का सरगना है, वह इससे पहले भी कई कई भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक मामले में शामिल रहा है. 

प्रशासन ने की थी बड़ी कार्रवाई 

हाकम सिंह रावत एक तरह से भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी ही नहीं बल्कि सरगना रहा है. हाकम सिंह रावत लिवाड़ी गांव का रहने वाला है और यहां से एक बार ग्राम प्रधान भी रह चुका है. साल 2019 में वह जखोल जिला पंचायत सीट से चुना गया. फिर जिला पंचायत सदस्य बना. उसे भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर भी जाना जाता है. साल 2022 में नकल माफिया के तौर पर रावत का नाम सबसे पहले आया. उस मामले में रावत को एक साल तक के लिए सुद्धोवाला जेल में भी बंद रखा गया था. उस दौरान रावत के सांकरी स्थित रिजॉर्ट पर भी प्रशासन ने कार्रवाई की और से तोड़ दिया.  

स्‍थानीय लोगों का मसीहा 

जेल से छूटने के बाद फिर हाकम सिंह रावत नकल विरोधी कानून के अंतर्गत गिरफ्तार हुआ. स्थानीय लोग उसे भले ही साधारण व्‍यक्ति बताते हैं और उन्‍हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वह पेपर लीक का सरगना है. इससे अलग वह स्थानीय तौर पर गरीबों का मसीहा है. कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि उसकी देहरादून में भी काफी प्रॉपर्टी है. जब यह पहली जेल गया तो उस समय इसका एक रिजॉर्ट तोड़ दिया गया लेकिन दूसरे रिजॉर्ट पर कार्रवाई नहीं हो सकी क्‍योंकि वह पत्नी के नाम पर था. बताया जा रहा है कि वह राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री के साथ उनकी नजदीकियां भी रही थी. इस पूरे मामले पर खुद मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने संज्ञान लिया है और उन्‍होंने मामले पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है. 
 

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