- SC आज हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले का फैसला करेगा.
- हल्द्वानी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और बनभूलपुरा क्षेत्र को पूरी तरह सील कर दिया गया है.
- पुलिस ने स्थानीय ID के बिना बनभूलपुरा के कोर इलाकों में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है.
उत्तराखंड के हल्द्वानी में बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से काबिज करीब 50 हजार लोगों के भविष्य का फैसला आज सुप्रीम कोर्ट में होना है. रेलवे भूमि अतिक्रमण से जुड़े इस बहुचर्चित बनभूलपुरा प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. हालांकि इस मामले में 2 दिसंबर को फैसला आना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए 10 दिसंबर की तारीख निश्चित की थी. इस मामले की सुनवाई के मद्देनजर हल्द्वानी में सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व स्तर पर कड़ी कर दी गई है. नैनीताल पुलिस और जिला प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अलर्ट मोड में हैं. संवेदनशील क्षेत्र बनभूलपुरा को पूरी तरह सील कर दिया गया है. यहां बाहरी व्यक्तियों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है. शहर के भीतर और सीमावर्ती इलाकों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. पल-पल के अपडेट्स के लिए बने रहें और इस पेज को लगातार रिफ्रेश करते रहें...
सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम
- बैरिकेडिंग, फ्लैग मार्च और ड्रोन निगरानी
- मेटल डिटेक्शन और एंटी-सबोटाज ऑपरेशन
- BDS टीमों द्वारा बम जांच
- सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और साइबर सेल की सक्रियता
इलाके में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद है.
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स्थानीय आईडी अनिवार्य, संदिग्धों पर नजर
बनभूलपुरा के कोर इलाकों में लोकल आईडी के बिना प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है. पुलिस ने भड़काऊ पोस्ट और अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
10 दिसंबर को भारी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध
सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक जिले की सीमाओं में भारी वाहनों की आवाजाही बंद रहेगी. जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी मालवाहक ट्रकों को रोकने के निर्देश जारी किए गए हैं. रामपुर, किच्छा, बरेली, बाजपुर, सितारगंज और काशीपुर से आने वाले वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से भेजा जाएगा. पर्वतीय रूटों के लिए टनकपुर–चंपावत मार्ग का इस्तेमाल करना होगा.
पुलिस इलाके में गस्त कर रही है.
प्रशासन ने नागरिकों से शांति बनाए रखने, सोशल मीडिया पर अफवाहों से बचने और यातायात नियमों का पालन करने की अपील की गई है. प्रशासन का स्पष्ट संदेश है कि किसी भी अराजकता पर तुरंत सख्त कार्रवाई होगी.
यह मामला सिर्फ वर्तमान विवाद तक सीमित नहीं है. बनभूलपुरा और गफूरबस्ती क्षेत्र में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर साल 2007 में भी हाईकोर्ट ने आदेश पारित किए थे. आइए जानते हैं इस केस की पूरा टाइमलाइन:
2007: पहला आदेश और कार्रवाई
हाईकोर्ट ने रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. प्रशासन ने 2400 वर्गमीटर भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया.
2013: गौला नदी खनन केस में फिर उठा मुद्दा
गौला नदी में अवैध खनन और पुल क्षति पर जनहित याचिका दायर हुई. सुनवाई के दौरान रेलवे भूमि अतिक्रमण का मामला फिर सामने आया.
2016: हाईकोर्ट का सख्त निर्देश
9 नवंबर 2016 को कोर्ट ने रेलवे को 10 सप्ताह में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया.
10 जनवरी 2017 को प्रदेश सरकार का दावा कि जमीन नजूल भूमि है, कोर्ट ने खारिज कर दिया.
2017: सुप्रीम कोर्ट का दखल
सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमणकारियों और सरकार को निर्देश दिया कि वे 13 फरवरी तक हाईकोर्ट में व्यक्तिगत प्रार्थना पत्र दाखिल करें.
6 मार्च 2017 को हाईकोर्ट ने रेलवे को बेदखली अधिनियम 1971 के तहत कार्रवाई करने को कहा, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
2022: फिर से जनहित याचिका
21 मार्च 2022 को नई याचिका दायर हुई.
18 मई 2022 को कोर्ट ने प्रभावितों को तथ्य पेश करने को कहा, लेकिन वे अपना अधिकार साबित नहीं कर पाए.
20 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने रेलवे को 7 दिन का नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया.
16 साल की कानूनी लड़ाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला हल्द्वानी और पूरे उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है. प्रशासन ने हल्द्वानी में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की है. बनभूलपुरा को ‘जीरो ज़ोन' घोषित कर दिया गया है और बाहरी व्यक्तियों की आवाजाही पर रोक है.













