125 साल का हुआ 22 हजार में बना नैनीताल का राजभवन, इस देश से मंगाए गए थे नल

उत्तराखंड के राज्यपाल का दूसरा राजभवन नैनीताल में स्थित है. अंग्रेजी शासनकाल में बनी इस इमारत ने 125 साल का सफर पूरा कर लिया है. आइए जानते हैं इस शानदार इमारत का इतिहास क्या है.

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नैनीताल:

उत्तराखंड के नैनीताल स्थित राजभवन दुनिया के सुन्दरतम राजभवनों में से एक है. नैनीताल राजभवन को पहले गवर्मेंट हाउस कहा जाता था. इस राजभवन ने अपनी 125 साल की गरिमामय यात्रा पूरी कर ली है. इस राजभवन को बने 125 साल पूरे हो गए हैं. इसका इतिहास ब्रिटिश शासन में शुरू होता है, जब इसे उत्तर-पश्चिम प्रांत के गवर्नर के ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में बनाया गया था. इसकी आधारशिला 27 अप्रैल, 1897 को रखी गई थी. इसका निर्माण 1899 में पूरा हुआ था. नैनीताल राजभवन स्कॉटिश महल जैसी स्थापत्य शैली में बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बना है. 

गवर्नर हाउस से राजभवन

समुद्र तल से करीब 7300 फीट ऊंचाई पर स्थित नैनीताल का गवर्नर हाउस, 220 एकड़ में फैला हुआ है. इसे इंग्लैंड के राजनिवास बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बनाया गया है. आजादी के बाद इसका नाम बदलकर राजभवन कर दिया गया, जो अब उत्तराखंड के राज्यपाल का आधिकारिक निवास है. राजभवन परिसर में सुंदर बगीचे, गोल्फ कोर्स, स्विमिंग पूल आदि बने हुए हैं. इसके अलावा झंडीधार मोदी हाईट्स, मुंशी हाईट्स और अन्य स्थान भी इस परिसर में देखने योग्य हैं. गवर्नर हाउस में 113 कमरे हैं. आजकल यह आम जनता के दर्शन के लिए खुला हुआ है. राजभवन बांज, तिलौंज, पुतली, देवदार, सुरई, अखरोट, चिनार सहित तमाम प्रजातियों के पेड़ लगे हैं. 

राजभवन के दरवाजों, खिड़कियों, बेविंडो, फर्नीचर आदि को बनाने में शीशम, साटिन, साईप्रस और साल की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है. इसके लिए पीतल और लोहे के नल इंग्लैंड से मंगवाए गए थे. सजावट के लिए कालीन फतेहपुर, आगरा और लखनऊ से आया था. नैनीताल राजभवन से ही देश में वन महोत्सव की शुरुआत हुई, नैनीताल राजभवन में गोल्फ कोर्स में गोल्फ प्रतियोगिताएं होती हैं. करीब  45 एकड़ में बने खूबसूरत गोल्फ कोर्स में शौकिया गोल्फ खिलाड़ियों के लिए गवर्नर्स गोल्फ कप प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. करीब आठ एकड़ में भवन और बगीचे आदि हैं. इसके जबकि 160 एकड़ में घना जंगल है.

राजभवन के निर्माण की आधारशिला 27 अप्रैल, 1897 को रखी गई थी.

ग्रीष्मकालीन राजधानी नैनीताल

इसे ब्रिटिश भारत के दौरान उत्तर-पश्चिम प्रांत के गवर्नर के ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में बनाया गया था, क्योंकि नैनीताल संयुक्त प्रांत की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. वर्तमान अब यह उत्तराखंड के राज्यपाल का आधिकारिक निवास है. साल 1865 में तत्कालीन गवर्नर ई ड्रमैड ने एक भवन माल्डन स्टेट शेर का डांडा पहाड़ियों में बनवाया था. इसके बाद गवर्नर का निवास स्थानान्तरित कर दिया गया. इस भवन को उन्होंने अपने कार्यकाल के बाद लाला मोती राम साह को बेच दिया था. लेकिन यह भवन 1879 तक उनके उत्तराधिकारियों के पास किराए पर रहा. यही उनका निवास भी रहा. इस अवधि में इस भवन में सर विलियम म्यूर, सर जौन स्ट्रेजी और सर जॉर्ज कूपर रहे.

कुछ समय बाद प्रोविंस के सर्वोच्च पद की गरिमा को देखते हुए माल्डन हाउस को उपयुक्त नहीं समझा गया. सर  जॉर्ज कूपर ने नया गवर्मेंट हाउस शेर का डांडा में हीं सेंट लू गौर्ज के समीप बनवाया. यह भवन 1880 में भूस्खलन की चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हो गया. भविष्य के खतरे को देखते हुए सर जॉर्ज कूपर ने शेर का डांडा में ही एक नया भवन सैन्टलू में ऐलिजाबेथन पद्धति में बनवाया. यहां से सरोवर का सुंदर और शांत दृश्य, तराई क्षेत्र और हिमाच्छादित पर्वत श्रेणियों का सुहावना दृश्य दिखाई देता था. मुख्य भवन समुद्र की सतह से 7300 फुट की ऊंचाई पर स्थित था. यह भवन सरोवर की सतह से पश्चिम की ओर 1070 फुट और पूर्व की ओर 980 फुट की ऊंचाई पर स्थित था. भवन 7400 वर्ग फुट में निर्मित किया गया था. भवन के सामने मुख्य सड़क 16 से 20 फुट चौड़ी थी.

कैसे बना नया गवर्नर हाउस 

नए गवर्मेंट हाउस में सरअल्फार्ड-ए-कौलानिन और सर चार्लस क्रौसवेट ने निवास किया. लेकिन कुछ समय बाद भवन में भी दरारें दिखने लगी थीं. दीवार में दरारें रोकने की कोशिश की गई. लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बीच 1895 में प्रोविंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर ऐंटोनी मैकडोनार्ड यहां आए. उन्होंने भवन को खतरनाक समझकर उसे तुड़वा दिया. उन्होंने नया गवर्मेंट हाउस बनाने की योजना बनाई. उन्होंने तत्कालीन भारत सरकार को नया गवर्मेंट हाउस बनाने का प्रस्ताव भेजा, जिसे मंजूरी मिल गई.

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आज के उत्तराखंड के राजभवन का निर्माण ब्रिटिश शासन में कराया गया था. इसके निर्माण पर 22 हजार रुपये की लागत आई थी.

मैकडोनार्ड ने नैनीताल की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अयारपाटा पहाड़ियों के मध्य वर्तमान में शेरवुड कालेज और सेंट जोसेफ कालेज भवन के बीच की जमीन का चयन राजभवन के लिए किया. उसी जमीन पर तत्कालीन लेफ्टीनेंट गवर्नर का अस्थायी निवास बनाया गया. इस पर 22 हजार रुपये का खर्च आया.

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यहां यह बताना जरूरी है कि सर ऐन्टोनी मैकडोनार्ड का कार्यकाल नैनीताल के इतिहास के लिए विशेष महत्वपूर्ण रहा. उन्होंने व्यक्तिगत रूचि लेकर इस नगर के विकास और निर्माण में अपना योगदान दिया. उनके प्रयासों को नगरवासियों ने अत्यधिक सराहा. साल 1901 में जब वो नैनीताल से जाने लगे तो उनके कार्य और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर नगर पालिका नैनीताल ने पहली बार किसी व्यक्ति का सार्वजनिक तौर पर नागरिक अभिनंदन समारोह आयोजित किया. नए गवर्मेंट हाउस (राजभवन) में निवास करने का सौभाग्य सर ऐन्टोनी मैकडोनार्ड को मिला था. 

वर्तमान राजभवन की आधारशिला 27 अप्रैल, 1897 को रखी गई थी. भवन निर्माण में दो साल लगे. यह मार्च 1899 में बनकर पूरा हुआ. यहां यह स्मरण करना भी जरूरी है कि उन दिनों अंग्रेजी राज अपने चरमोत्कर्ष पर था. दूसरी बात जो स्मरणीय है वह यह है कि नैनीताल का राजभवन मार्च 1899 में बन चुका था और दिल्ली स्थित वायसराय भवन (राष्ट्रपति भवन) का निर्माण 1911 में शुरू हुआ था.

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