'आपकी जमीन हमारी है', 100 साल पुराने कॉलेज को नोटिस देकर वक्फ बोर्ड ने खड़ा किया विवाद

बनारस का यूपी कॉलेज, जिसकी स्थापना 1909 में राजर्शी उदय प्रताप सिंह ने की थी, जो 100 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है. (पीयूष रंजन की रिपोर्ट)

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लखनऊ:

संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर चर्चा हो रही है और इस बीच यूपी के वाराणसी में वक्फ बोर्ड एक नया कारनामा सामने आया है.वाराणसी का प्रतिष्ठित यूपी कॉलेज, जो 100 साल से भी अधिक पुराना है, उसको सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने पिछले दिनों एक नोटिस दिया कि आपके परिसर में स्थित मज़ार, मस्ज़िद और उसके आसपास की ज़मीन वक़्फ़ की गई है, इसलिए वो वक्फ बोर्ड की संपत्ति है.यूपी कॉलेज ने अगर 15 दिन के अंदर अपना जवाब नहीं दिया तो आपकी कोई भी आपत्ति नहीं सुनी जाएगी.

जानें पूरा मामला

बनारस का यूपी कॉलेज, जिसकी स्थापना 1909 में राजर्शी उदय प्रताप सिंह ने की थी, जो 100 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है, उसके परिसर स्थित मस्ज़िद और मज़ार को लेकर सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने कॉलेज क़ो नोटिस भेजा था की मस्ज़िद और मज़ार सहित आसपास की जमीन वक्फ बोर्ड की है.

कॉलेज ने दिया जवाब

यूपी कॉलेज के प्राचार्य कहते हैं कि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड से कॉलेज क़ो नोटिस आयी थी  जिसका जवाब दे दिया गया है. इसके बाद वक्फ बोर्ड से कोई नयी नोटिस नहीं आयी. वक्फ बोर्ड ने यूपी कॉलेज के परिसर में स्थित अवैध मस्जिद और मजार और उससे सटी ज़मीनों पर अपना दावा किया था. मस्जिद और मज़ार का निर्माण पिछली सरकार की शह पर किया गया था. ये निर्माण पूरी तरह अवैध है. वहीं मस्जिर परिसर मे रह कर नमाज अदा करने वाले का कहना है मस्जिद तो कॉलेज से पुरानी है, मजार भी बहुत पुरानी है और कॉलेज मस्जिद की जमीन पर बना है.

फ़िलहाल इस नए विवाद में आगे क्या होगा, ये कहना मुश्किल है लेकिन वक़्फ़ के नाम पर काशी के प्रतिष्ठित कॉलेज को नोटिस दिए जाने को लेकर वक़्फ़ बोर्ड पर कई सवाल ज़रूर खड़े हो रहे हैं.


 

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