बैकुंठ द्वार से भगवान रंगनाथ के दर्शन: साल में एक बार खुलते हैं पट, पालकी यात्रा में शामिल हुए लाखों भक्त

वृंदावन के श्री रंगनाथ मंदिर में बैकुंठ एकादशी पर साल में एक बार खुलने वाला बैकुंठ द्वार खोला गया. लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान रंगनाथ के दर्शन किए और पालकी यात्रा में शामिल हुए. मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया गया, जबकि सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए.

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Vaikunth Ekadashi 2025: वृंदावन स्थित उत्तर भारत के विशालतम दक्षिण शैली के सबसे बड़े श्री रंगनाथ मंदिर में मंगलवार को बैकुंठ एकादशी के अवसर पर बैकुंठ द्वार खोला गया. साल में सिर्फ एक बार खुलने वाले इस द्वार से भगवान रंगनाथ के दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु मंदिर पहुंचे. मान्यता है कि इस द्वार से गुजरने वाला भक्त बैकुंठ लोक की प्राप्ति करता है. पूरे मंदिर परिसर में भव्य सजावट और धार्मिक उत्साह का माहौल देखने को मिला.

भगवान की पालकी यात्रा

बैकुंठ उत्सव की शुरुआत देर रात भगवान रंगनाथ की मंगला आरती से हुई. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रंगनाथ माता गोदा जी के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच पालकी में विराजमान होकर बैकुंठ द्वार पहुंचे. यहां करीब आधे घंटे तक भगवान की पालकी द्वार पर रही.

पाठ और पूजा-अर्चना

पालकी के बैकुंठ द्वार पर पहुंचने पर मंदिर के महंत गोवर्धन रंगाचार्य जी के नेतृत्व में पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पाठ और अर्चना की. इसके बाद भगवान रंगनाथ, शठ कोप स्वामी, नाथ मुनि स्वामी और आलवर संतों की कुंभ आरती की गई. पूजा के बाद भगवान की सवारी मंदिर प्रांगण में भ्रमण कर निज धाम पौंडानाथ मंदिर में विराजमान हुई.

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बैकुंठ द्वार की मान्यता

बैकुंठ एकादशी को वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन बैकुंठ द्वार से गुजरने वाला भक्त बैकुंठ धाम की प्राप्ति करता है. यह परंपरा दक्षिण भारत के वैष्णव मंदिरों में प्राचीन काल से चली आ रही है और वृंदावन के रंगनाथ मंदिर में भी इसका पालन किया जाता है.

भव्य सजावट और तैयारियां

इस अवसर पर बैकुंठ द्वार को आकर्षक फूलों और रोशनी से सजाया गया. करीब एक हजार किलो से अधिक फूल वृंदावन, दिल्ली और बेंगलुरु से मंगाए गए. लाइटिंग की व्यवस्था ऐसी थी कि भक्तों को बैकुंठ लोक का अहसास हो. लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. CO सदर संदीप सिंह और अन्य अधिकारियों ने व्यवस्था संभाली. भक्तों के लिए सर्दी से बचाव के इंतजाम किए गए, रास्तों पर मैट बिछाए गए और जगह-जगह अलाव जलाए गए. देर शाम से ही पहुंचे भक्तों के लिए चाय, दूध और हलवा प्रसाद की व्यवस्था की गई.

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