45 साल बीत गए. रामपुर और आजम खान एकदूजे के हो गए थे. इन 45 सालों में आजम खान और उनके परिवार के ही किसी न किसी सदस्य ने रामपुर से चुनाव लड़ा. आजम खान खुद 1977 से 2022 तक 12 बार इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. दस बार जीते और दो बार हारे. मगर, इस बार रामपुर विधानसभा के उपचुनाव में आजम के वफादार असीम रजा को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया है. 1977 के बाद पहली बार समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान या उनके परिवार का कोई सदस्य रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में नहीं है.
नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में आजम खान को दोषी करार दिए जाने के बाद से यह सीट खाली हुई थी. उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को इस सीट पर मतदान होगा. समाजवादी पार्टी ने आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा या उनकी बहू को मैदान में नहीं उतारा. 2019 में आजम खान के सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी तजीन फात्मा ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
अब असीम राजा उपचुनाव में किस्मत आजमाएंगे. सत्तर और अस्सी के दशक में इस सीट पर कांग्रेस एक मजबूत ताकत थी. 1980 और 1993 के बीच, आजम खान ने लगातार पांच विधानसभा चुनाव जीते, लेकिन 1996 का चुनाव कांग्रेस के अफरोज अली खान से हार गए. आजम खां को राज्यसभा भेजा गया. बाद में उन्होंने 2002 से 2022 के बीच लगातार पांच चुनाव जीते.
आजम खान और उनके परिवार पर कानूनी मामले चल रहे हैं. आजम खान की पत्नी और उनके बेटे के खिलाफ 2014 में अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहते हुए सरकारी जमीन हड़पने की कथित साजिश का मामला दर्ज किया गया था. एक स्थानीय अदालत द्वारा भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद आजम खान को उनकी विधानसभा सीट से अयोग्य घोषित कर दिया गया है.
भाजपा ने आकाश सक्सेना को एक बार फिर रामपुर से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. वह पिछले उपचुनाव में इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. सक्सेना इस साल की शुरुआत में रामपुर सदर सीट से आजम खान से हार गए थे. उपचुनाव में वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी.
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