UP: आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के क़रीब पांच हज़ार सरकारी एम्बुलेंस के 19000 कर्मचारियों (Ambulance workers) के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों पर मुसीबत टूट पड़ी है. एम्बुलेंस न मिलने की वजह से कई मरीजों की मौत की खबरें हैं. यूपी (UP) के कई स्थानों पर तो हालत यह है कि लोग ठेले और खाट पर मरीजों को लेकर आ रहे हैं. लखनऊ में एंबुलेंस कर्मचारियों एकत्रित होकर प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल, पूरे यूपी की करीब 4780 एबुलेंस हड़ताल के कारण बंद कर दी गई हैं. लोगों की जान न जाए, इसलिए हर जिले में केवल 15 एंबुलेंस को चलने को इजाजत दे दी गई है, बाकी के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. एंबुलेंस की तीन तरह की सर्विस हैं. 102 नंबर की एंबुलेंस अलग है, 108 नंबर की अलग है और एक एएलएस सर्विस अलग है. कर्मचारियों का आरोप है कि तीसरी तरह की सर्विस का ऑपरेशन किसी ओर कंपनी को आउटसोर्स कर दिया है जो छंटनी कर रही है और पुराने कर्मचारियों को भर्ती करने के लिए बीस-बीस हजार की घूस मांग रही है.
आंदोलन कर रहे एंबुलेंस कर्मचारी चाहते हैं कि उन्हें सरकारी कर्मचारी बना जाए और ठेके की प्रथा खत्म कर दी जाए. इन कर्मचारियों का कहना है कि एंबुलेंस की सेवा प्राथमिक सेवा है और इसके कर्मचारियों को मजदूरी पर नहीं होना चाहिए. उनका कहना है कि हमें अभी सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिलती है. शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान भी हमें नहीं दिया जाता. 50 लाख रुपये सरकार ने कोरोना वॉरियर्स के लिए निधि की घोषणा की है, उसमें हमारा नाम नहीं है. आज की तारीख में हमें कुछ हो जाता है तो हमारे परिवार को कोई सुरक्षा की गारंटी नहीं है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस स्थिति को शर्मनाक बताते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया है. प्रियंका ने लिखा, 'यूपी में कोरोना काल में सरकार एंबुलेंस कर्मियों पर फूल बरसाने की बात करती थी. उन्होंने जैसे ही अपने अधिकारों की आवाज उठाई, सरकार उन पर लट्ठ बरसाने की बात कर रही है.सरकार ने ASMA लगाकर 500 से ऊपर कर्मी बर्खास्त कर दिए और जनता परेशान है. ऐसी सरकार से प्रदेश को भगवान बचाए.'