यूपी सरकार संभल में 1978 में हुए दंगे की फाइलें ढूंढ रही, NDTV के पास एक एक्‍सक्‍लूसिव फ़ाइल

संभल दंगों के समय मुरादाबाद ज़िले का हिस्सा था. दंगे से जुड़ी एक फ़ाइल NDTV के पास है. इससे ये पता चलता है कि 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने आठ मुकदमे वापस लेने का फ़ैसला किया था.

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संभल:

उत्‍तर प्रदेश सरकार संभल में 1978 में हुए दंगे की फाइलें ढूंढ रही है, जिसके बाद 47 साल पहले हुए दंगों की फिर से जाँच कराने की तैयारी है. संभल दंगों के समय मुरादाबाद ज़िले का हिस्सा था. दंगे से जुड़ी एक फ़ाइल NDTV के पास है. इससे ये पता चलता है कि 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने आठ मुकदमे वापस लेने का फ़ैसला किया था. कहा जा रहा है कि आज़म ख़ान और शफ़ीकुर रहमान बर्क के दवाब में ये फ़ैसला हुआ था. आज़म अभी जेल में हैं और शफ़ीकुर के पोते जिया उर रहमान अब संभल के सांसद हैं. यूपी सरकार विधानसभा चुनाव तक संभल मामले को ज़िंदा रखना चाहती है. पिछले साल 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के बाद यहां हिंसा भड़की थी.

योगी सरकार का दावा- दंगे में हिंदुओं को मारा गया था...

संभल में अभी विवाद थमने वाला नहीं है, योगी सरकार के कदम से कुछ यही संकेत मिल रहे हैं. यूपी की राजनीति पर कड़ी नजर रखने वालों का कहना है कि  योगी सरकार उपचुनाव तक संभल मामले को ज़िंदा रखना चाहती है. पिछले साल 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के बाद यहां हिंसा भड़की थी. योगी सरकार के आदेश पर संभल दंगे की फाइलें खंगाली जा रही हैं. ये दंगा 1978 में हुआ था. योगी सरकार का दावा है कि दंगे में हिंदुओं को मारा गया था. लेकिन इन मामलों में आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई... सबको छोड़ दिया गया. गृह विभाग के आदेश पर अब 47 साल पहले दंगे से जुड़ी फाइलों को खोजा जा रहा है. इस दौरान कई महत्वपूर्ण काग़ज़ मिले हैं. इसने ये खुलासा हुआ है कि मुलायम सिंह यादव की सरकार में कई मुकदमे वापस लेने के फ़ैसले हुए थे. इसमें मर्डर जैसे केस भी शामिल हैं. अब इन मुक़दमों की फिर से जांच कराने की तैयारी है. 

NDTV के पास मौजूद 1978 संभल दंगे से जुड़ी फाइल

मुलायम सरकार ने संभल दंगे से जुड़े 8 केस लिये थे वापस...! 

अब तक 1978 दंगे से जुड़ी कई फाइलें मिल चुकी हैं. एक फ़ाइल मुक़दमा वापसी का है. मुलायम सिंह यादव, तब यूपी के मुख्यमंत्री थे. बात 23 दिसंबर 1993 की है. केस वापसी के सरकारी आदेश की एक चिट्ठी NDTV इंडिया को मिली है. गृह विभाग के विशेष सचिव ने मुरादाबाद के उस समय के डीएम को चिट्ठी लिखी है. इसमें आठ मुकदमे वापस लेने के आदेश दिए गए हैं. सूत्र बताते हैं कि आज़म खान और शफ़ीकुर रहमान बर्क जैसे प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं के दवाब में मुलायम सिंह ने ये फ़ैसला किया था. आज़म ख़ान अब जेल में बंद हैं. साल 1993 में वे मुलायम सरकार में मंत्री थे. शफीकुर रहमान का निधन हो चुका है. वे खुद कई बार संभल से सांसद रहे. अब उनके पोते जिया उर रहमान बर्क संभल के सांसद हैं. हाल में हुई हिंसा के मामले में उन पर केस भी दर्ज हुआ है. 

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क्‍या ये है योगी सरकार की रणनीति!

यूपी की योगी सरकार ये बताना करना चाहती है कि 1978 के दंगों में हिंदुओं के साथ अन्याय हुआ. पहले उन्हें मारा गया... फिर उनकी संपत्ति छीन ली गई. केस दर्ज  हुए तो भी सारे आरोपी छोड़ दिए गए. मामलों की सुनवाई के दौरान न तो ठीक से गवाही हुई और न ही केस की पैरवी हुई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने धर्म देख कर काम किया. अब इन फाइलों के मिलने और उनकी जाँच के बाद बीजेपी को चुनावी मुद्दा मिल सकता है. दो साल बाद 2027 में यूपी मैं विधानसभा के चुनाव होने हैं. मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद से ही पश्चिमी यूपी का राजनीतिक समीकरण बदल गया है. संप्रदायक ध्रुवीकरण होने पर बीजेपी को फायदा हो सकता है. पश्चिमी यूपी के कई जिलों में मुसलमानों की अच्छी आबादी है. लेकिन रामपुर और कुंदरकी जैसी सीटों पर भी अब बीजेपी का क़ब्ज़ा है. 

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1978 के सांप्रदायिक दंगों के दो गवाहों अभी जिंदा हैं

सूत्रों के मुताबिक, 1978 के सांप्रदायिक दंगों के दो गवाहों और चार आरोपियों के अभी जिंदा होने की जानकारी मिली है. इनकी खोजबीन जारी है. दंगे के समय संभल मुरादाबाद जिले का हिस्सा था. संभल दंगों की दस फाइलें मिली हैं. कई मुकदमों में 2010 में आरोपियों को सबूतों के अभाव में कोर्ट ने बरी कर था. फाइलें तो मिल गयी हैं, लेकिन अभी उनसे संबंधित कई रिकॉर्ड नहीं मिले हैं. इन फाइलों में राज्य बनाम रिज़वान, राज्य बनाम मुनाज़िर और राज्य बनाम वाजिद जैसे केस की फ़ाइल हैं. इनमें  धारा 147, 148 ,149, 395, 397, 436 और 307 आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज हुए थे.  

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