ये भी कमाल है! साल में 365 दिन... मैडम की 400 दिनों की छुट्टी, 3 शिक्षकों पर हुआ एक्‍शन

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उन्‍नाव से एक उच्‍च प्राथमिक विद्यालय का मामला सामने आया है, जहां शिक्षकों के छुट्टी लेने से स्‍कूल ही बंद हो गया. वहीं मिड डे मील के लिए आई सामग्री सड़ती नजर आई. (गौरव शर्मा की रिपोर्ट)

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उन्‍नाव:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उन्‍नाव के एक सरकारी स्‍कूल से चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां के एक प्राथमिक स्‍कूल में शिक्षकों ने इतनी छुट्टी ली कि स्‍कूल ही बंद हो गया. राज्‍य बाल संरक्षण आयोग की टीम जब यहां पर जांच के लिए पहुंची तो शिक्षा के मंदिर का हाल देखकर हर कोई दंग रह गया. डीएम गौरांग राठी के निर्देश पर अब स्‍कूल की तीन महिला शिक्षकों को सस्‍पेंड कर दिया गया है. खास बात ये है कि इस गांव को भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने गोद लिया है. 

टीकरगढ़ी स्थित उच्‍च प्राथमिक विद्यालय की शिकायत पर राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम खुलासे करने के लिए पहुंची, जिसके बाद जिले में हड़कंप मच गया. उन्नाव से महज 8 किमी दूर स्थित टीकरगढ़ी उच्च प्राथमिक विद्यालय में हेड मास्टर अलका सिंह सहित दो अन्‍य महिला शिक्षकों मंजू यादव और अमिता शुक्‍ला की तैनाती थी. कई सालों से शिक्षिकाओं में आपसी विवाद चल रहा था, जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई थी. बीते दिनों इसकी शिकायत राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य श्यामपति त्रिपाठी से की गई. शिकायत की जांच के लिए आयोग की टीम पहुंची तो एक के बाद एक कई बड़े खुलासे होते चले गए. 

सड़ता मिला मिड-डे मील 

आयोग की टीम ने स्कूल में बंद पड़े कमरे का ताला तुड़वाया तो करीब आठ महीने से बच्चों को मिलने वाले मिड डे मील का सामान पूरी तरह से सड़ा चुका था. इसके अलावा सप्ताह में हर बुधवार को होने वाली शिक्षा समिति की बैठक करीब 4 महीने से हुई ही नहीं थी. 

365 दिन 400 दिनों की छुट्टी 

इसके अलावा अभिलेखों की जांच के दौरान पता चला कि यहां तैनात शिक्षकों ने साल भर में 365 दिनों की जगह 400 दिनों की मेडिकल और सीएल चढ़ा दी है, जिसे देखकर जांच कर रही टीम दंग रह गई. 

निलंबन और विभागीय जांच के आदेश 

जांच के बाद तीनों महिला शिक्षकों अलका सिंह, मंजू यादव और अमिता शुक्ला को निलंबित कर दिया गया. वहीं डीएम गौरांग राठी के निर्देश पर बीएसए संगीता सिंह ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. 

इस मामले में बड़ा सवाल यह है कि जब मिड डे मील बन ही नहीं रहा था तो अनाज कैसे आता रहा और कैसे बच्चों के मिड डे मील पोर्टल पर ऑनलाइन फीडिंग होती रही. ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिन्‍हें लेकर शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है. 

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