उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हरदोई में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की पत्नी की मौत के बाद भाजपा सांसद और पार्टी के नेता सिटी मजिस्ट्रेट के खिलाफ धरने पर बैठ गए. भाजपा नेताओं ने भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की पत्नी की मौत को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की, जिसके बाद एडीएम सहित अन्य आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और जांचकर कार्रवाई का भरोसा दिया. इसके बाद पूर्व जिलाध्यक्ष की पत्नी के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया.
दरअसल, आचार संहिता लगने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष विद्याराम वर्मा के नाम का बोर्ड हटवा दिया था. विद्याराम वर्मा द्वारा विरोध करने पर सिटी मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी थी, जिसका वीडियो वायरल हो गया था. इसी के बाद विद्याराम वर्मा की पत्नी का निधन हो गया. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी लता वर्मा पति की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सकी और सदमे से उनकी मौत हो गई. इस घटना के बाद प्रशासन ने बोर्ड उनके आवास पर पहुंचा दिया, लेकिन कोई भी अधिकारी वहां पर ना तो शोक व्यक्त करने गया और ना ही किसी ने घटना को लेकर उनसे कोई बातचीत की.
भाजपाइयों ने किया प्रदर्शन
इसी बात से नाराज होकर सांसद जयप्रकाश रावत, नगर पालिका अध्यक्ष सुखसागर मिश्र, पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा राम बहादुर सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा रामकिशोर गुप्ता, गौ रक्षा प्रकोष्ठ के सुनील शुक्ला, पूर्व सांसद अंशुल वर्मा सहित दर्जनों भाजपाई सोमवार को हरदोई के लखनऊ मार्ग पर एकत्रित हुए और उन्होंने रास्ता जाम कर दिया. भाजपाइयों का कहना था कि ऐसे अधिकारी को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है. साथ ही प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गए.
अधिकारियों ने की समझाइश
इसके बाद एडीएम प्रियंका सिंह और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे. उन्होने शाम पांच बजे तक कार्रवाई का भरोसा दिया और उसके बाद धरना खत्म हुआ. दरअसल, भाजपा के जिलाध्यक्ष और सहकारी बैंक के अध्यक्ष रह चुके विद्याराम वर्मा लोकतंत्र सेनानी भी हैं.
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