उत्तर प्रदेश के उन्नाव से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. रेप पीड़िता लड़की ने एक बच्ची को जन्म दिया है. दरअसल, शादी का झांसा देकर एक युवक युवती के घर आता था. इसी बीच युवती का दुष्कर्म किया, जिससे वो गर्भवती हो गई. परिजनों की इसकी जानकारी 6 महीने बाद हुई. जानकारी मिलने के बाद परिजनों ने युवक पर शादी का दबाव बनाया, मगर उसने पैसे देने की बात कही. इस पर घरवालों ने पुलिस थाने में मामला दर्ज गरवाया, जिसके बाद युवक को गिरफ्तार कर लिया गया.
पूरा मामला समझिए
आरोपी युवक का नाम अभिषेक यादव है. वो नाबालिग लड़की के घर दूध लेने आता था. इसी क्रम में उसने नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया. अप्रैल महीने में किशोरी के पेट में अक्सर दर्द रहने पर एक क्लीनिक में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने गैस बनने की समस्या बताई और इलाज किया गया. समस्या बढ़ने पर अल्ट्रासाउंड करवाया गया, जिसमें पता चला कि नाबालिग बच्ची गर्भवती हो चुकी है.
किशोरी के परिजनों ने बताई कहानी
किशोरी के परिजन जब अभिषेक यादव के घर गए, तो अभिषेक ने शादी से मना कर दिया साथ ही साथ नाबालिग लड़की के परिजनों को धमकी भी दी. परिजनों ने बताया कि अभिषेक ने शादी करने से मना कर दिया और पैसे देकर मामला खत्म करने को कहा.
घटना की जानकारी होने के बाद 25 जून को पीड़िता के पिता ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया तो आरोपी युवक ने उसके पिता को डराया धमकाया और मुकदमा वापस लेने पर दबाव बनाया. आरोपी युवक ने कहा कि अभी भी वक्त है, मुकदमे को वापस ले लो नहीं तो मेरा कुछ नहीं कर पाओगे. लेकिन पुलिस ने दो दिन बाद ही उसके गिरफ्तार कर लिया. पीड़ित किशोरी के पिता ने 25 जून 2024 को आरोपी युवक के खिलाफ थाने में तहरीर देकर दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया. 29 जून 2024 को पुलिस ने आरोपी अभिषेक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
पुलिस ने भी कार्रवाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. दुष्कर्म समेत पॉक्सो एक्ट में दर्ज मुकदमे को डेढ़ माह के अंदर ही जांच पड़ताल पूरी करने के बाद आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करते हुए अगस्त माह में मुकदमे को न्यायालय में दाखिल कर दिया है. अब पॉक्सो कोर्ट में इसकी सुनवाई शुरू होगी. मुकदमे में आरोपीय अभिषेक यादव की तरफ से जमानत के लिए याचिका डाली गई जो की लोअर कोर्ट से खारिज हो गई है. हाईकोर्ट में प्रचलित है, फिलहाल पुलिस की ओर से कई बिंदुओं पर जवाब दाखिल किए गए हैं, जिसके आधार पर न्यायालय ने आरोपी पक्ष की सुनी गई बातों को खारिज किया है.