यूपी की सियासत इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है. समाजवादी पार्टी और सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के बीच मतभेद इतने बढ़ गई कभी भी इनके 'रिश्ते टूट' सकते हैं. अखिलेश यादव और सुभासपा के ओपी राजभर के बीच रिश्तों में बढ़ती कड़वाहट की झलक, इन दोनों के हाल में आए तल्ख बयानों से भी मिल रही है. दोनों पार्टियों के बीच मतभदे हाल ही उस समय फिर सामने आए जब अखिलेश की सपा से अलग स्टेंड लेते हुए राजभर की सुभासपा ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया. अखिलेश की पाटी ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट दिया था. एनडीटीवी के साथ बातचीत में सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर (OP Rajbhar)ने सपा के साथ अपनी पार्टी के रिश्तों और विभिन्न सियासी मसलों पर खुलकर अपना पक्ष रखा.
ओपी राजभर को हाल ही में Y कैटेगरी सुरक्षा मिली है, यह कहीं द्रौपदी मुर्मू को किए समर्थन की वजह से तो नहीं? इस सवाल पर सुभासपा प्रमुख ने कहा कि 9 एफआईआर हमने लखनऊ सहित कई शहरों में कराई थीं. हमारे ऊपर कई हमले हुए और जान से मारने की धमकी की मिली. कई गिरफ्तारियां भी हुईं, इस मामले में, पीएम और केंद्रीय गृह मंत्री को मैं लगातार लेटर लिखता रहा था. गृह मंत्रालय ने इसे संज्ञान में लेकर जांच की और इसे सही पाया. 25 दिन पहले हमें बताया था कि आपको सुरक्षा की जरूरत है और जल्द ही आपको दे दी जाएगी. सुभासपा प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट 18 जुलाई को पड़े और गिनती 21 को हुई जबकि 15 जुलाई को ही सुरक्षा मिलने के आदेश की कॉपी हमे मिल गई थी. आपको धमकी कौन दे रहा, इस सवाल के जवाब में राजभर ने कहा कि इनके खिलाफ हम एफआईआर करते रहे, कुछ अरेस्ट भी होते रहे हैं. अपराधी किसी राजनीतिक पार्टी के नहीं होते हैं.
आपका अब अखिलेश से गठबंधन है या नहीं, इस सवाल पर राजभर ने कहा, " हम गठबंधन को लेकर पूरी तरह से कोशिश करते रहे. हमने अपने इलाके में रिजल्ट भी दिया. उपचुनाव में आजमगढ़ में 12 दिन मैं लगातार 13-14 मीटिंग करता रहा. हमारी कोशिश थी कि पार्टी जीते. अखिलेश जी वहां से एमपी थे उनके भाई चुनाव लड़ रहे थे, जो टीवी पर बयान दे रहे वे एक दिन भी वहां नहीं गए. विधानसभा चुनाव में भी मैं सलाह देता रहा लेकिन कोई मानने को तैयार ही नहीं था. कोई आरोप नहीं लगा सकता कि ओपी राजभर की ओर से कोई गलती है." द्रौपदी मुर्मू को समर्थन के बाद लगता है कि विपक्ष में विभाजन है, इस बारे में पूछे गए सवाल पर सुभासपा प्रमुख ने कहा कि विपक्ष में अहंकार बहुत है. अखिलेश जी ने यशवंत सिन्हा जी को वोट दिलाने की जिम्मेदारी ली लेकिन बैठक में घटक दलों को नहीं बुलाया. जिसके एमएलए जीते, उनको तो बुलाना था. आप जयंत को बुलाते हो लेकिन ओपी राजभर को नहीं बुलाते हैं. दूसरी ओर द्रौपदी मूर्म के पक्ष में मुर्मजी, सीएम और गृहमंत्री ने सबसे अपील की.
गठबंधन के अस्तित्व को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारा अहंकार होता तो आजमगढ़ में 12 दिन तक हम इतनी मेहनत नहीं करते. हम जिसके साथ रहते हैं ईमानदारी से रहते है कोई नहीं रखना चाहता तो हम क्या करें. क्या विपक्ष 2024 तक एकजुट रह सकता है, इस सवाल के जवाब में राजभर ने कहा, "राष्ट्रपति चुनाव से संदेश अलग है क्योंकि आदिवासी वर्ग से आने वाली द्रौपदी मुर्मू चुनाव लड़ रही थीं. देश की सर्वोच्च कु्र्सी पर बैठाने की बात आई तो लोगों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर वोट दिया. अखिलेश के साथ अलायंस से कब निकल रहे हैं इस सवाल पर ओपी राजभर ने दो टूक लहजे में कहा, " इंतजार कर रहे हैं कि तलाक मिल जाए तो हम कबूल कर लेंगे फिर हम अपना दूसरा रास्ता तय करेंगे. तलाक मांगेगा कौन? तो उन्होंने कहा कि अखिलेश जी, उनके हिसाब से शायद इसकी नौबत आ गई है. हमारे हिसाब से तो नहीं.