यूपी के बस्ती ज़िले में सरकारी मेडिकल कॉलेज (Basti Medical College) की 24 साल से बंद पड़ी लिफ्ट मरम्मत के लिए खोली गई तो उसमें से एक कंकाल निकला जिससे वहां हंगामा हो गया. मेडिकल कॉलेज में यह लिफ्ट 1997 में लगाई गई थी. कुछ दिन चली भी. लेकिन जल्द ही खराब हो गयी. फिर क्यों नहीं बनी यह कोई ठीक बता नहीं पा रहा है. शायद कंपनी के लोग बनाने नहीं आये. या शायद सरकारी लोगों ने बनवाने में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई.
मामले की ख़बर जैसे ही पुलिस को मिली, बस्ती के एएसपी दीपेंद्र नाथ चौधरी समेत तमाम पुलिस वाले वहां पहुंच गए. उन्होंने देखा कि लिफ्ट में मर्दाना कपड़े में एक पूरा कंकाल लेटा है. पुलिस ने 24 साल पहले मेडिकल कॉलेज में जो लोग काम कर रहे थे उनसे पूछताछ की लेकिन कोई कुछ बता नहीं पाया.
पुलिस के लिए यह पहेली है कि अगर लिफ्ट खराब थी तो क़ातिल ने क़त्ल करने के बाद उसमें लाश कैसे डाली? या फिर क़ातिल ने मक़तूल को लिफ्ट में डालने के बाद लिफ्ट को खराब कर दिया? अगर ऐसा हुआ तो फिर क़ातिल को लिफ्ट ख़राब करने की तकनीक कैसे आई? या कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि कोई लिफ्ट में गया और फिर लिफ्ट खुली ही नहीं और वो अंदर ही मर गया? लेकिन भीड़भाड़ वाले अस्पताल में अगर कोई लिफ्ट में फंस गया तो मदद के लिए चिल्लाया क्यों नहीं?
मौके पर जांच के लिए पहुंचे एएसपी दीपेंद्र चौधरी ने एनडीटीवी से कहा कि "शव का पोस्टमॉर्टेम तो कराया जा रहा है, लेकिन इसकी डीएनए प्रोफाइलिंग कराई जाएगी. इसके अलावा 1997 के जिस महीने में लिफ्ट खराब हुई थी, उस महीने गुमशुदा हुए लोगों को 24 साल पुराने पुलिस रिकॉर्ड से ढूंढ जाएगा."
उन्होंने बस्ती के लोगों से भी कहा की अगर उनकी जानकारी में कोई शख्स 1997 में लापता हुए हो तो वो उसकी जानकारी उन्हें या इलाके के थाने को दें. ताकि यह चेक किया जा सके कि कहीं मारने वाला वही तो नहीं. उसके बाद ही उसकी मौत की वजहों की पड़ताल की जा सकेगी.