यूपी में बीजेपी को एसआईआर से लगने लगा है डर, जानिये वजह 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते रविवार को प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के अध्यक्ष पद के औपचारिक ऐलान के दिन खुलकर अपनी चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा कि यूपी में कुल साढ़े 15 करोड़ मतदाताओं में से लगभग चार करोड़ नाम कट सकते हैं.

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यूपी में बीजेपी को क्यों लग रहा है एसआईआर से डर
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  • यूपी में बीजेपी नेताओं को एसआईआर प्रक्रिया में लापरवाही और वोटर्स के नाम कटने को लेकर गहरी चिंता है
  • लखनऊ में हुई बैठक में बीजेपी ने एसआईआर में सक्रियता बढ़ाने और लापरवाही न बरतने का स्पष्ट निर्देश दिया
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि लगभग चार करोड़ नाम कट सकते हैं, जिनमें ज्यादातर बीजेपी समर्थक हैं
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लखनऊ:

SIR को लेकर विपक्षी दल भले अपने डर का खुलेआम इज़हार कर रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि यूपी में बीजेपी को भी एसआईआर से डर लग रहा है. वो भी थोड़ा बहुत नहीं बल्कि बहुत ज़्यादा. बीजेपी के बड़े नेताओं की चिंता ये है कि एक तरफ़ समाजवादी पार्टी के पीडीए प्रहरी गली गली घूमकर अपने वोटर्स का फॉर्म भरवा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ बीजेपी कार्यकर्ता “कम्फर्ट ज़ोन” में बैठा हुआ है. 

दरअसल रविवार को लखनऊ में बीजेपी की एक बड़ी बैठक हुई. इस बैठक में पार्टी नेताओं ने साफ़ कहा कि एसआईआर में जितना वक़्त बचा है, उसका इस्तेमाल वोट सहेजने में कर लें वरना बहुत देर हो जाएगी. बड़े नेताओं के साफ़ कह दिया कि एसआईआर की प्रक्रिया में सक्रियता नेताओं को टिकट मिलने में बड़ा आधार बनने वाली है. ये भी कहा गया कि जिसको चुनाव नहीं लड़ना वो साफ़ बता दे लेकिन एसआईआर में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. 

लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुई इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग, सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी, महामंत्री संगठन बीएल संतोष मौजूद रहे. इस बैठक में यूपी से आने वाले बीजेपी सांसद, विधायक के अलावा हर ज़िले के एसआईआर के संयोजक और संबंधित पदाधिकारी बुलाए गए थे. इसका मकसद ये संदेश देना था कि पार्टी एसआईआर में लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी. 

इन बड़े नेताओं की चिंता ये है कि बीजेपी के कार्यकर्ता अपना वोट बचाने में उतने तल्लीन होकर लगे हुए नहीं दिख रहे, जितने सपा के कार्यकर्ता ज़मीन पर सक्रिय हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने बैठक में साफ़ चेतावनी देते हुए कहा कि नेताओं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय होना ही होगा. जो नहीं हो सकता वो बता दे कि वो चुनाव नहीं लड़ना चाहता. उन्होंने कहा कि इस एसआईआर का असर अगले 20 साल रहने वाला है. यानी अगर भविष्य सुरक्षित करना है तो आज सक्रिय होना होगा. 

सीएम योगी आदित्यनाथ ने बैठक में अपनींचिंता व्यक्त करते हुए लगभग 25 सीटों की अब तक की रिपोर्ट पेश कर दी. उन्होंने कहा कि बहुत सी सीटों पर 15 से 20 फीसदी तक नाम या तो मिसिंग हैं या शिफ्टर बताए गए हैं. उनकी चिंता ये है कि कहीं सपा कार्यकर्ता बीएलओ के साथ मिलकर बीजेपी समर्थकों का नाम गायब करवाने में ना लगे हों. उन्होंने कहा कि एसआईआर के काम में लगे बीजेपी के बीएलए मतदाता सूची और ड्राफ्ट लेकर जांचें कि किसका किसका फॉर्म अब तक भरा नहीं गया है. 

शनिवार को लखनऊ आए बीजेपी के निवर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के साथ बैठक की. इस बैठक का भी एजेंडा एसआईआर ही रहा. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस बैठक में भी एसआईआर के काम में बीजेपी कार्यकर्ताओं की लापरवाही पर चिंता व्यक्त की. सीएम की चिंता है कि सपा के लोग फॉर्म भी भरवा रहे हैं और संदेह होने पर नामों को लेकर आपत्ति भी दर्ज करा रहे लेकिन बीजेपी कार्यकर्ता ऐसा नहीं कर रहे. 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते रविवार को प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के अध्यक्ष पद के औपचारिक ऐलान के दिन खुलकर अपनी चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा कि यूपी में कुल साढ़े 15 करोड़ मतदाताओं में से लगभग चार करोड़ नाम कट सकते हैं. जो चार करोड़ नाम कट सकते हैं, उसमें लगभग 90 फ़ीसदी बीजेपी के वोटर्स होंगे. उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं से अपील की कि बूथ लेवल पर मजबूती से एसआईआर के काम में जुटना होगा, वरना नुक़सान होगा. 

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यूपी में कुल 15 करोड़ 44 लाख मतदाता हैं. माना जा रहा है कि हाल में 18 साल की उम्र पूरी करने वालों की संख्या मिलकर मतदाताओं के आंकड़े 16 करोड़ हो सकते हैं. ऐसे में एसआईआर में मृतक वोटर्स, शिफ्टेड वोटर्स और ड्यूल वोटर्स के नामों को काटने के बाद ये एंकर लगभग 12 करोड़ के आसपास हो सकता है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने बताया था कि लगभग 18 फ़ीसदी वोटर्स के नाम काटे जा सकते हैं. अभी एसआईआर की प्रक्रिया 26 दिसंबर तक चलेगी. 

बीजेपी को एसआईआर की प्रक्रिया के शुरुआत में डर नहीं लगा लेकिन जैसे जैसे ये प्रक्रिया आगे बढ़ी, बीजेपी नेताओं को ये रिपोर्ट मिली कि बीजेपी कार्यकर्ता ‘कम्फ़र्ट ज़ोन' में आकर ज़मीन पर नहीं उतर रहा जबकि सपा के लोग बूथ लेवल पर अपने वोटर्स का नाम जुड़वाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे. ऐसे में बीजेपी नेताओं ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ़ कह दिया है कि जिसके जिसके इलाक़े से एसआईआर में ढिलाई हुई, उसको पार्टी अनुशासन ना मानने से जोड़कर देखेगी. अब देखना होगा इस बड़ी बैठक के बाद बच्चे हुए चार पांच दिनों में बीजेपी के लोग अपना कितना वोट बचाने में सफल होते हैं. 

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