कम बच्चों वाले प्राइमरी स्कूलों को बंद करने के फैसले पर यूपी सरकार को अखिलेश यादव ने घेरा  

यूपी में इन दिनों सरकारी प्राइमरी स्कूलों का सर्वे चल रहा है. दो तरह के मानक बनाए गए हैं. कुछ जिलों में 20 की तो कुछ में 50 का फ़ार्मूला रखा गया है. मतलब ये है कि जिन स्कूलों में बीस या फिर उससे कम बच्चे हैं तो फिर उसे बंद करने का फैसला हुआ है.

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  • यूपी सरकार ने कम बच्चों वाले प्राइमरी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है.
  • लगभग पांच हजार सरकारी स्कूल इस फैसले के तहत बंद हो सकते हैं.
  • बंद स्कूलों के छात्र नज़दीकी स्कूलों में स्थानांतरित होंगे.
  • स्कूलों के शिक्षकों और शिक्षा मित्रों को भी ट्रांसफ़र किया जाएगा.
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यूपी सरकार ने कम बच्चों वाले प्राइमरी स्कूलों को बंद करने का फैसला किया है. इसे सरकारी स्कूलों का मर्जर बताया जा रहा है. इस फ़ैसले के लागू होने से यूपी में करीब पांच हज़ार स्कूल बंद हो सकते हैं. बंद होने वाले स्कूलों के बच्चे जुलाई महीने से नज़दीक के स्कूल में पढ़ाई करेंगे. ऐसे स्कूलों के टीचर, शिक्षा मित्र और अनुदेशक भी उसी स्कूल में ट्रांसफ़र किए जाएंगे. योगी सरकार के इस फ़ैसले का विपक्ष के साथ साथ शिक्षकों का संगठन भी विरोध कर रहा है. 

अखिलेश यादव ने क्या कहा

अखिलेश यादव ने स्कूल के मर्जर को लेकर यूपी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने चुनाव आयोग को भी लपेट लिया है. अखिलेश यादव कहते हैं कि ये फैसला एक राजनैतिक साज़िश है. हार के डर से बीजेपी सरकार चुनाव आयोग के साथ मिल कर ऐसा कर रही है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि सुनियोजित तरीके से यूपी की योगी सरकार बूथों को बदलने का काम कर रही है. जिन इलाकों में हमारी पार्टी का प्रभाव है, वहां स्कूल बंद किए जा रहे हैं. इसीलिए हम इस फ़ैसले के विरोध में हैं. 

अखिलेश यादव के आरोप

अखिलेश यादव ने कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र कन्नौज में भी स्कूल बंद करने का यही फ़ार्मूला है. जहां बीजेपी बूथ हारी, वहां स्कूल बंद किए जा रहे हैं. अखिलेश ने दावा किया बीजेपी का टाइम ख़त्म हो गया है. वे बोले कि बीजेपी प्रयागराज और अयोध्या में हारी और वाराणसी हारते-हारते बची. अखिलेश यादव का दावा है कि अब बीजेपी गोरखपुर और मथुरा भी हारेगी. 

यूपी सरकार क्या कर रही

यूपी में इन दिनों सरकारी प्राइमरी स्कूलों का सर्वे चल रहा है. दो तरह के मानक बनाए गए हैं. कुछ जिलों में 20 की तो कुछ में 50 का फ़ार्मूला रखा गया है. मतलब ये है कि जिन स्कूलों में बीस या फिर उससे कम बच्चे हैं तो फिर उसे बंद करने का फैसला हुआ है. सरकार का दावा है कि ऐसा करने से शिक्षक स्टूडेंट का अनुपात बेहतर रहेगा. स्कूल की बिल्डिंग का इस्तेमाल किसी और काम में किया जा सकता है. पर अखिलेश यादव ने तो इसी बहाने नई राजनीति शुरू कर दी है. वे ये माहौल बनाना चाहते हैं कि हार के डर से बीजेपी ग़ैर क़ानूनी काम कर रही है.

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