चंद्रशेखर आजाद एक तीर से साधेंगे दो निशाने, यूपी विधानसभा के बाहर आंदोलन का किया ऐलान

यूपी में अखिलेश यादव की सरकार में समीक्षा अधिकारी के लिए दलित कोटे से 78 लोगों का चयन हुआ था, लेकिन उन्‍हें आज तक नौकरी नहीं मिली है. इसी मुद्दे को लेकर लेकर चंद्रशेखर आजाद प्रदर्शन करने जा रहे हैं.

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उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान चंद्रशेखर आजाद ने प्रदर्शन करने की घोषणा की है. (फाइल)
लखनऊ:

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद लखनऊ में आंदोलन करने की तैयारी में है. उन्होंने इसके लिए जगह और समय भी तय कर लिया है. उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान चंद्रशेखर आजाद ने समीक्षा अधिकारी भर्ती मामले में प्रदर्शन करने की घोषणा की है. आजाद समाज पार्टी के सांसद ने एक तीर से दो निशाने साधने का प्‍लान बनाया है. यह मुद्दा दलितों से जुड़ा है, सरकारी नौकरी का है और अखिलेश यादव की सरकार के समय का है. बीएसपी चीफ मायावती अब तक इस मुद्दे पर खामोश हैं. 

पिछले दो दिनों से चंद्रशेखर आजाद ने लखनऊ में डेरा डाल रखा है. आमतौर पर वे लखनऊ में कम ही रहते हैं. पहले उन्होंने प्रबुद्ध सम्मेलन किया. राज्य के सभी मंडलों में इस तरह के कार्यक्रम करने की योजना है. अभी सत्रह और प्रबुद्ध सम्मेलन होंगे. पंचायत चुनाव के लिए वे जगह-जगह जाकर ऐसी सभाएं कर रहे हैं. पंचायत चुनाव के बहाने उनकी तैयारी अपना दम दिखाने की है. वे अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि बीएसपी के सामने अगर उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा तो फिर तो उनके अच्छे दिन हैं.

जानिए क्‍या है समीक्षा अधिकारी मामला

यूपी में अखिलेश यादव की सरकार में समीक्षा अधिकारी के लिए दलित कोटे से 78 लोगों का चयन हुआ था, लेकिन उन्‍हें आज तक नौकरी नहीं मिली है. साल 2006 में इस भर्ती का विज्ञापन निकला था. चंद्रशेखर रावण ने 3 मई को इसी मामले में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी. उन्होंने सालों से नौकरी की बाट जोह रहे लोगों की मदद की अपील की. महीने भर बीतने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. चंद्रशेखर आजाद ने इसी सिलसिले में सचिवालय प्रशासन के प्रमुख सचिव अमित घोष से भी बातचीत की. 

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सपा-भाजपा से दो-दो हाथ की तैयारी

सालों से समीक्षा अधिकारी की नियुक्ति को भटक रहे दलित लोगों के लिए चंद्रशेखर रावण ने अब फैसला कर लिया है. फैसला आर पार की लड़ाई का. यूपी की योगी सरकार से दो दो हाथ करने का है. साथ ही ये भी बताने का है कि अखिलेश यादव की सरकार ने दलितों का हक कैसे मार दिया. विधानसभा पर प्रदर्शन कर चंद्रशेखर समीक्षा अधिकारी वाले मामले का सच सबको बताना चाहते हैं.

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सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में इस मुद्दे पर निर्णय कर लिया था. कैबिनेट की बैठक में समीक्षा अधिकारी की परीक्षाएं कर चुके लोगों को नौकरी देने पर फैसला हुआ था. ये सभी 78 दलित समाज के लोग साल 2012 से ही दिन गिन रहे हैं. परीक्षा पास किए तेरह साल हो गए हैं, लेकिन हर बार नौकरी के नाम पर ये ठगे जा रहे हैं. अब तो ये सब किसी और जगह नौकरी भी नहीं कर सकते हैं. 
 

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