- अयोध्या के राम मंदिर में 25 नवंबर को ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसके पहले कई अनुष्ठान किए गए हैं.
- कार्यक्रम में वैदिक अनुष्ठान और पूजन पवित्र मंत्रोच्चार के साथ पूरे मंदिर परिसर में हो रहे हैं.
- सोमवार को ध्वज स्नपन और अधिवास अनुष्ठान संपन्न हुए, जिसमें सूर्य मंत्र के साथ आहुतियां समर्पित की गईं.
अयोध्या के राम मंदिर में 25 नवंबर, मंगलवार को ध्वजारोहण समारोह होना है. ध्वजारोहण से पहले के कार्यक्रम की शुरुआत 21 नवंबर को ही हो गई थी. कार्यक्रम के चौथे दिन सोमवार को ध्वज स्नपन और विभिन्न अधिवास अनुष्ठान किए गए.
अधिवास अनुष्ठान के साथ पूरे मंदिर परिसर में दिव्य-आध्यात्मिक वातावरण और अधिक प्रखर हो उठा. पावन मंत्रोच्चार के बीच पूजन का हर चरण ध्वज, ध्वजदंड और पूजन स्थलों को दिव्य ऊर्जा से अभिषिक्त करने के संकल्प के साथ संपन्न हुआ.
सोमवार सुबह पूजन हर दिन की तरह प्रात: 8 बजे से प्रारंभ हुआ. वैदिक मर्मज्ञ आचार्यों द्वारा गणपति पूजन, पंचांग पूजन और षोडश मातृका पूजन के बाद योगिनी, क्षेत्रपाल और वास्तु पूजन के क्रम पूरे हुए.
नवग्रह पूजन और प्रमुख मंडलों विशेषकर रामभद्र मंडल का आवाहन कर परंपरानुसार आहुति और अनुष्ठान किए गए. ध्वज पूजन के विशेष क्रम में सूर्य मंत्र के साथ आहुतियां समर्पित की गईं, क्योंकि ध्वज पर अंकित सूर्य भगवान श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश का प्रतीक है.
इसके बाद ध्वजमंत्र आहुतियां और ध्वज स्नपन परंपरा के अंतर्गत औषधि अधिवास, गंधाधिवास, शर्करा अधिवास और जलाधिवास संपन्न हुआ. वैदिक परंपरा के अनुसार अधिवास का उद्देश्य ध्वज-पत्र, ध्वज-दंड, जल, कलश एवं समस्त पूजन सामग्री में दिव्यता का आवाहन कर उन्हें देवोपयोगी बनाना है.
पूजन में यजमान डॉ. अनिल मिश्र सपत्नीक उपस्थित रहे. पूरे कार्यक्रम में मुख्य आचार्य चंद्रभान शर्मा, उपाचार्य रविंद्र पैठणे, यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य पंकज शर्मा सहित अन्य आचार्यों ने पूजन संपन्न कराया. पूजन व्यवस्था की देखरेख आचार्य इंद्रदेव मिश्र एवं आचार्य पंकज कौशिक ने की. ध्वजारोहण से पूर्व यह सभी वैदिक अनुष्ठान निरंतर जारी हैं. अगले चरण में ध्वज पर शास्त्रीय विधि से अभिषेक व प्रतिष्ठा कर उसे 191 फीट की ऊंचाई पर शिखर पर आरोहित करने की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी.
इनपुट- भाषा के साथ














