यूपी में DNA पर जारी है सियासी बवाल, अखिलेश यादव के खिलाफ लखनऊ में लगे पोस्‍टर

लखनऊ में अखिलेश यादव के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं. ये पोस्टर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठकों के समर्थकों द्वारा लगाए गए हैं और इनमें अखिलेश यादव को माफी मांगने के लिए कहा गया है. इसी बीच मंगलवार सुबह ब्रजेश पाठक ने एक बार फिर अखिलेश को जवाब देते हुए एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है.

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लखनऊ:

समाजवादी पार्टी और यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक में डीएनए पर छिड़ी जुबानी वॉर खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. बता दें कि ब्रजेश पाठक ने दावा किया था कि सपा का जन्म मुस्लिम तुष्टिकरण के ‘डीएनए' के साथ हुआ है और अखिलेश यादव की पूरी राजनीति का मूल यही है. इसपर अखिलेश यादव ने कहा था, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करने में विफल रहे पाठक चाटुकारिता और निरर्थक बातें कर रहे हैं. उन्होंने एक्स पर भी एक पोस्ट किया था और कन्नौज के छिबरामऊ में एक निजी अस्पताल में हुई एक मरीज की मौत का जिक्र करते हुए डिप्टी सीएम से कई सवाल किए थे.

इसके बाद अब लखनऊ में अखिलेश यादव के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं. ये पोस्टर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठकों के समर्थकों द्वारा लगाए गए हैं और इनमें अखिलेश यादव को माफी मांगने के लिए कहा गया है. इसी बीच मंगलवार सुबह ब्रजेश पाठक ने एक बार फिर अखिलेश को जवाब देते हुए एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है. अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, "आपने मेरे सवाल के जवाब में अपनी टीम से लंबी चौड़ी थीसिस लिखवा दी और सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर दी। पर मेरी आपको सलाह है कि बच्चों से लिखवाई इस तरह की थीसिस को पोस्ट करने से पहले एक बार पढ़ जरूर लिया करें. उन्होंने ध्यान नहीं दिया होगा और आपने आदतन पढ़ा नहीं होगा. इस चक्कर में आपसे गलती ये हो गई कि पर्चा राजनीतिक विज्ञान का था और आपने जवाब होम साइंस वाली कुंजी से टीप दिया".

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ब्रजेश पाठक ने लिखा, "मैं तो आपसे आपकी पार्टी के डीएनए के बारे में पूछ रहा हूं. अगर निरूत्तर हो गए हों तो क्षमा मांग लीजिए और बात खत्म करिए. जवाब नहीं होने पर गलती मान लेना एक स्वस्थ परंपरा की निशानी है. बार बार गोल पोस्ट बदलकर समाजवादी पार्टी के डीएनए वाले मेरे सवाल से बचने की इस छटपटाहट में तो आप और भी एक्सपोज हुए जा रहे हैं. आखिर समाजवादी पार्टी के डीएनए वाले सवाल से इतने डरे-सहमे क्यों हुए हैं आप? क्या इसलिए कि इस मुद्दे पर बात होते ही आपकी समाजवादी पार्टी के डीएनए वाला दरवाजा किसी आटोमैटिक सेंसर से खुद ही खुल जाएगा. फिर एक एक कर आपके दौर के माफियाओं की तस्वीरें सामने आएंगी. फिर समाजवादी पार्टी के डीएनए में फलते फूलते आए अतीक और मुख्तार जैसे माफियाओं की छायाएं उभरने लगेंगी. फिर मुज़फ्फरनगर का दंगा फन फुंफकारते हुए आस्तीन से बाहर निकल आएगा. फिर राममंदिर की कारसेवा में हिंदुओं पर चली गोलियों की तड़तड़ाहट की यादें प्रदेश को सन्न कर देगी. फिर कोई अतीक अपनी कब्र से निकलकर ये दावा करने लगेगा कि वो आपके और आपके पिता के बीच सुलह सफाई करवाएगा. फिर गोमती रिवर फ्रंट से करप्शन की बजबजाती गंदगी की बास आने लगेगी. फिर खनन घोटाले की फाइलें अलमारियों से निकलकर घर घर के चक्कर लगाने लगेंगीं". 

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