वाराणसी: गंगा नदी में तैर रहे 'हरे शैवाल' के लिए जिम्मेदार कौन? रिपोर्ट में सामने आई बात

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समिति की जांच आख्या के आधार पर मिर्जापुर एस.टी.  पी. के जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही के लिए शासन से संस्तुति की है.

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अधिकारियों व विभागों को समिति के सुझावों के अनुपलान के निर्देश (फाइल फोटो)
वाराणसी:

गंगा नदी में हरे शैवाल पाये जाने से प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई हैं. हरे शैवाल पाए जाने के बाद जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने इसकी जांच के लिए 5 सदस्यीय समिति गठित की थी. समिति के सदस्यों ने वाराणसी से मिर्जापुर तक (विन्ध्याचल अप स्ट्रीम) गंगा नदी के उद्गम, स्रोत तथा गंगा घाटों तक जाकर शैवाल के कारणों की जांच कर संयुक्त आख्या शुक्रवार को डीएम को सौप दी.

गंगा नदी में हरा शैवाल बनने का सम्भावित कारण मिर्जापुर के विध्याचल में 4 एम.एल.डी. क्षमता के एसटीपी कन्वेंशनल सिस्टम पर आधारित होना है. एसटीपी से होने वाला निस्तारण बसवरिया ड्रेन के माध्यम से गंगा नदी में आता है. इसी वजह से हरा शैवाल गंगा नदी में मिलता है. हरे शैवाल गंगा नदी में धीरे-धीरे समय के साथ विकसित होते चले गए. इस प्रकार 04 एम.एल.डी. क्षमता का एसटीपी विन्ध्याचल शैवाल का मुख्य स्रोत प्रतीत होता है. 

गंगा नदी में जल का प्रवाह बहुत कम है तथा पानी में एल्गल ब्लूम (शैवाल के फैलाव) के लिए उपयुक्त तापमान है. साथ ही खेतों से निकलकर नदी में आना वाला पानी अपने साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस, यूरिया, डीएपी आदि लेकर आता है जिससे गंगा नदी में नाइट्रोजन, फास्फोरस की मात्रा बढ़ने की सम्भावना है, जो एलग्ल ब्लूम की मात्रा बढ़ने में सहायक होती है. मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल का बिना शुद्धिकृत किए गंगा नदी में निस्तारण भी एक कारक है. 

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समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट में 04 एमएलडी एसटीपी विन्ध्याचल को उच्चीकरण किए जाने की संस्तुति की गई है. इसके अलावा, 4 एमएलडी एसटीपी विन्ध्याचल, जो कि हरे शैवाल को गंगा नदी में बहाये जाने तथा संचालन हेतु जिम्मेदार कार्मिक को एसटीपी के सम्यक संचालन एवं रख-रखाव हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जाने की संस्तुति की गई है.

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गंगा किनारे बने सभी एसटीपी का समुचित संचालन व रख-रखाव सुनिश्चित किया जाए. गंगा नदी में गिरने वाले नालों को पूर्णतया टैप्ड कर रमना स्थित 50 एमएलडी क्षमता के एस0टी0पी0 में उपचारित किया जाय. इसी प्रकार रामनगर की ओर से गिरने वाले नालों को टैप कर 10 एमएलडी क्षमता के एसटीपी, रामनगर में उपचारित किया जाये. मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल के शुद्धिकरण हेतु एसटीपी लगाये जाने की संस्तुति की जाये. 

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हरे शैवाल को खत्म किये जाने एवं हरे शैवाल के कारण जलीय जन्तुओं पर पड़ने वाले कुप्रभावों का अध्ययन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सम्बंधित विभाग से कराये जाने की संस्तुति भी की गयी है. 

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जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समिति की जांच आख्या के आधार पर मिर्जापुर एस.टी.  पी. के जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही के लिए शासन से संस्तुति की है. अन्य अधिकारियों व विभागों को समिति के सुझावों के अनुपलान के निर्देश दे दिए गए हैं.

वीडियो: बनारस में गंगा का पानी हरा हुआ, क्या है वजह?

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