आकाश आनंद की BSP में धमाकेदार वापसी, ऐसा करने के पीछे क्या है मायावती की स्ट्रेटजी

आकाश ने कहा कि मैं आदरणीय बहन जी का तहेदिल से आभार प्रकट करता हूं. उन्होंने  मेरी गलतियों को माफ किया और एक अवसर दिया है कि मैं बहुजन मिशन और मूवमेंट को मजबूत करने में अपना योगदान दूं.

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आकाश आनंद को बीएसपी में अब सारा आकाश मिल गया है. दिल्ली में हुई पार्टी की बैठक में मायावती ने उन्हें अपने बाद नंबर दो के नेता वाली पोजीशन दी है. बीएसपी चीफ़ ने आकाश को अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी तो नहीं बनाया है. पर उनकी राजनैतिक ताक़त कमोबेश वैसी ही हो गई है. लेकिन इस बार एक गलती उनके भविष्य को डुबो सकता है. पहाड़ सी चुनौती उनके सामने है. इसीलिए बीएसपी नेताओं की बैठक में मायावती ने कहा कि आकाश अब आगे कोई गलती नहीं करेंगे. 

मायावती के भतीजे आकाश आनंद बीएसपी में चीफ नेशनल कॉर्डिनेटर बनाए गए हैं. पार्टी में पहली बार ये पद बनाया गया है. क्योंकि बीएसपी में तीन नेशनल कोऑर्डिनेटर पहले से हैं. आकाश के लिए मायावती ने ये विशेष व्यवस्था बनाई है. इसीलिए ज़िम्मेदारी मिलने के बाद आकाश ने कहा आदरणीय बहन जी ने मुझे पार्टी के मुख्य नेशनल कोआर्डिनेटर पद की जिम्मेदारी दी है.

आकाश ने कहा कि मैं आदरणीय बहन जी का तहेदिल से आभार प्रकट करता हूं. उन्होंने  मेरी गलतियों को माफ किया और एक अवसर दिया है कि मैं बहुजन मिशन और मूवमेंट को मजबूत करने में अपना योगदान दूं.

आकाश आनंद की बीएसपी में धमाकेदार वापसी हुई है. लेकिन ये उनके लिए कांटों का ताज जैसा है. अपनी पहली पारी में आकाश फेल रहे. पर इस दौरान बीएसपी के युवा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई है. मायावती ने उन्हें पार्टी से बाहर किया तो मन ही मन सब आकाश की वापसी की दुआ कर रहे थे. आकाश को पार्टी के पुराने और नए नेताओं में समन्वय बनाना होगा. बीएसपी के कई नेता पार्टी छोड़ कर दूसरे राजनैतिक दलों में जा चुके हैं. ऐसा माहौल बन गया है कि बीएसपी एक डूबता जहाज़ है. 

बीएसपी का जनाधार लगातार घट रहा है. बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी का वोट शेयर यूपी में घट कर 9.3% रह गया है. एक जमाने में बीएसपी को अति पिछड़ी बिरादरी का वोट भी मिला. जिसे पार्टी के संस्थापक कांशीराम स्टेपनी वोट कहते थे. पर अब तो चुनौती पार्टी के सामने अपना बेस वोट बैंक बचाने की है. दलितों में भी जाटव बिरादरी के लोग ही अब बीएसपी के साथ है. यहाँ भी चंद्रशेखर रावण भी मायावती के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं. वे खुद नगीना से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. आकाश आनंद से उनके खिलाफ ही चुनाव प्रचार की शुरूआत की थी. अब जब उन्हें नई ज़िम्मेदारी मिली है तो उन्हें चंद्रशेखर की तरफ बढ़ रहे वोटरों को रोकना होगा. 

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