- अखिलेश यादव पर मस्जिद में बैठक और चाय-नाश्ते करने पर विवाद हो गया है.
- मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने मस्जिद की पवित्रता भंग करने का आरोप लगाया है.
- मौलाना ने साजिद रशीदी के साथ हुई मारपीट की भी निंदा की है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. मस्जिद में बैठकर बैठक और चाय-नाश्ता करने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. मस्जिद विवाद को लेकर अखिलेश यादव पर फिर से इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने तीखा बयान दिया है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अखिलेश यादव से माफी मांगने की मांग की. माफी नहीं मांगने पर मौलाना ने अखिलेश यादव को आंदोलन की चेतावनी भी दी.
मौलाना ने क्या कहा
- मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बरेली में कहा कि मस्जिद अल्लाह का घर है. वहां पंचायत नहीं हो सकती. अखिलेश यादव, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और मोहिबुल्लाह नदवी ने मस्जिद की पवित्रता को ठेस पहुंचाई. वहां बैठक की गई है. मौलाना ने साफ शब्दों में कहा कि मुसलमानों को मस्जिद की पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए. मस्जिद इबादत की जगह है, वहां दुनिया की बातें नहीं होनी चाहिए.
- मौलाना ने आगे कहा, "अगर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने जल्द माफी नहीं मांगी, तो 2027 के विधानसभा चुनाव में मुसलमान वोट मांगने आए सपा प्रत्याशियों से जरूर सवाल पूछेंगे कि जब मस्जिद की तौहीन हो रही थी, तब तुम कहां थे?" साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला करते हुए कहा, "अगर सपा ये समझती है कि गुंडागर्दी और मारपीट से हमारी आवाज को दबा लेगी, तो ये उनकी भूल है. हम सच्चाई बोलते रहेंगे, चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े."
- मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मौलाना साजिद रशीदी के साथ हुई मारपीट की भी कड़ी निंदा की और कहा कि अगर किसी बात से आपत्ति थी, तो बातचीत से हल निकाला जा सकता था. उन्होंने माना कि साजिद रशीदी के बयान में शब्दों की गलती थी, लेकिन इसका जवाब मारपीट नहीं हो सकता.
केंद्र और दिल्ली सरकार को पत्र
मौलाना रजवी ने बताया कि उन्होंने इस मामले को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री और लोकसभा स्पीकर को भी पत्र भेजा है. अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो देशभर के मौलाना एकजुट होकर आंदोलन करेंगे. मौलाना ने अखिलेश यादव पर इस मसले पर चुप रहने का आरोप लगाते हुए कहा, "अखिलेश सिर्फ कमरे में बैठकर ट्विटर चलाते हैं, लेकिन जब लखनऊ में 700 मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चला, तब वो बाहर नहीं निकले. आजम खान जेल में रहे, लेकिन उन्होंने मदद नहीं की. उन्हें अपने पिता की विरासत मिली है, लेकिन मुसलमानों की परवाह नहीं है."