लखनऊ नगर निगम की आउटसोर्सिंग कंपनियां और ठेकेदार बड़े पैमाने पर रोहिंग्या व बांग्लादेशियों को सफाईकर्मी के रूप में तैनात कर रही हैं. खुफिया विभाग के इस इनपुट से शासन-प्रशासन की नींद उड़ गई है. राजधानी में काम करने वाले करीब 15 हजार सफाईकर्मियों में से आधे से ज्यादा सफाईकर्मियों के बांग्लादेशी और रोहिंग्या होने की आशंका जताई गई है. इसके साथ ही प्रदेश के 10 बड़े नगर निगमों में डेढ़ लाख से अधिक संदिग्ध सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं.इस खुफिया इनपुट के बाद नगर आयुक्त गौरव कुमार ने सभी आउटसोर्सिंग एजेंसियों के कर्मचारियों की जांच और पुलिस सत्यापन के निर्देश दिए गए हैं.
कहां से आए हैं आउटसोर्सिंग के सफाई कर्मचारी
नगर निगम के रजिस्टर में दर्ज ज्यादातर सफाई कर्मचारी लखनऊ या आसपास के जिलों के नहीं हैं. पूछताछ में ये खुद को असम या बंगाल का बताते हैं. इन्हें ठेकेदार बुलाकर लाते हैं और कम वेतन पर काम कराते हैं. झोपड़ियों में रहने वाले इन लोगों को प्रतिमाह 9,000 रुपये का वेतन दिया जाता है. इसमें से दो-तीन हजार रुपये ठेकेदार की जेब में चले जाते हैं. जबकि अबतक ये काम स्थानीय वाल्मीकि समाज के लोग करते आए हैं. नगर आयुक्त गौरव कुमार के निर्देश के बाद लखनऊ में नगर स्वास्थ्य अधिकारी और स्थानीय थाना स्तर पर जांच शुरू हो चुकी है.
लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल ने अपने स्तर पर आउटसोर्सिंग के सफाईकर्मियों की जांच पड़ताल शुरू की. कई सफाईकर्मियों के पहचान पत्र की जांच की गई. मेयर ने पूरे मामले पर एक वृस्तित रिपोर्ट सामने रखने की बात कही है. मेयर ने कहा कि ये लोग घुसपैठियां हैं और लोग शहर के लिए खतरा हो सकते हैं. ऐसे ही लोग रात में मुहल्ले में चोरी कर रहे हैं और संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हैं. वहीं आउटसोर्सिंग के कर्मचारी खुद को असम का नागरिक बता रहे हैं. वो एनआरसी से जुड़े कागज भी दिखा रहे हैं.
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